
दिल्ली : डायबिटीज, एक ऐसी बीमारी जो तेजी से युवाओं के बीच भी फैल रही है, और सबसे खतरनाक यह है कि अधिकांश युवा लोग इस बीमारी से अनजान रहते हैं। एक हालिया अध्ययन, जो The Lancet Diabetes & Endocrinology में प्रकाशित हुआ है, ने इस बात को उजागर किया है कि विश्व भर में 15 वर्ष और उससे ऊपर के लगभग 44 प्रतिशत लोग जिन्हें डायबिटीज है, उन्हें अपनी इस स्थिति का पता नहीं होता। सबसे चिंताजनक स्थिति 15 से 39 वर्ष आयु वर्ग की है, जिनमें केवल 26 प्रतिशत मरीजों का ही सही समय पर निदान हो पाता है। यह वही समूह है जिसे जीवनभर जटिलताओं का सबसे ज्यादा खतरा रहता है क्योंकि वे लंबी अवधि तक इस बीमारी के साथ जीते हैं।
भारत की बात करें तो यहां फिलहाल लगभग 9 करोड़ लोग डायबिटीज़ से ग्रसित हैं और अनुमान है कि 2050 तक यह संख्या 15 करोड़ तक पहुंच जाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर समय रहते जागरूकता और रोकथाम के उपाय नहीं किए गए तो यह बीमारी देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन सकती है।
डायबिटीज़ क्यों खतरनाक?
डायबिटीज़ तब होती है जब शरीर इंसुलिन हार्मोन का सही उपयोग नहीं कर पाता और रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। समय पर इलाज न होने पर यह बीमारी हृदय रोग, किडनी फेलियर, स्ट्रोक, आंखों की रोशनी कम होना और पैरों में गंभीर संक्रमण जैसी समस्याओं का कारण बनती है।
कारण और लक्षण
आधुनिक जीवनशैली इस बीमारी के बढ़ने की बड़ी वजह है—अनियमित खानपान, तला-भुना और जंक फूड, शारीरिक गतिविधि की कमी, तनाव, नींद की कमी और मोटापा। इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं—बार-बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान, वजन में अनियमित बदलाव और घावों का देर से भरना। लेकिन अक्सर लोग इन संकेतों को नज़रअंदाज कर देते हैं।
इलाज और नई उम्मीदें
अच्छी खबर यह है कि डायबिटीज़ को नियंत्रित किया जा सकता है। दवा, इंसुलिन, संतुलित भोजन और नियमित व्यायाम मिलकर बीमारी को काबू में रखते हैं। हालिया रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में 91 प्रतिशत डायग्नोज़ मरीज दवा लेते हैं, लेकिन केवल 42 प्रतिशत ही शुगर को ठीक से नियंत्रित कर पाते हैं।
भारत में जल्द ही नई दवा टिर्झेपटाइड (Tirzepatide) उपलब्ध होगी, जो ब्लड शुगर के साथ वजन नियंत्रण में भी मदद करती है। यह उन लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है जिन्हें अभी तक संतोषजनक नियंत्रण नहीं मिल पाया।
बचाव ही सबसे बड़ा उपाय
विशेषज्ञ मानते हैं कि डायबिटीज़ से लड़ाई का सबसे असरदार तरीका है—बचाव। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान और शराब से दूरी, तनाव का नियंत्रण और समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच से इस बीमारी के खतरे को काफी हद तक टाला जा सकता है।
साइलेंट एपिडेमिक
डायबिटीज़ अब एक “साइलेंट एपिडेमिक” बन चुकी है। अगर समाज और सरकार मिलकर जागरूकता बढ़ाएं और समय पर निदान की व्यवस्था मजबूत करें, तो इसे काबू में किया जा सकता है। खासकर युवाओं को अपने खानपान और जीवनशैली पर ध्यान देना होगा, वरना आने वाले दशकों में यह बीमारी भारत की सेहत के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।