नई दिल्ली / दिल्ली में सत्तारूढ आम आदमी पार्टी अब अपने विस्तार की रणनीतियों में लगी और इसी के तहत पार्टी ने अगले दो वर्षों में छह राज्यों में चुनाव लड़ने का मन बनाया है। आम आदमी पार्टी पहले ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है, जिसके बाद इन राज्यों में सत्तारूढ़ बीजेपी नेताओं के साथ आप नेताओं की जुबानी जंग भी पिछले दिनों देखने को मिली थी। पार्टी ने अब छह राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को यह मत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अतिरिक्त गोवा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और गुजरात का नाम भी शामिल किया। आप की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उन्होंने कहा कि पार्टी अगले दो वर्षों में इन राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। दिलचस्प यह है कि जिन छह राज्यों में आप के विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया गया है, उनमें से 5 में बीजेपी सत्तारूढ़ है।
इसके लिए पार्टी ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है | अन्य राज्यों में अपनी पकड़ बनाने के लिए आम आदमी पार्टी ने स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी जैसे विषयों को दमदार तरीके से मतदाताओं के सामने रखने की रणनीति बनाई है | आम आदमी पार्टी ने नए सिरे से उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, गोवा आदि राज्यों में अपनी तैयारी शुरू भी कर चुकी है | दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा को पंजाब और कालकाजी से विधायक आतिशी को गुजरात का प्रभार सौंपा गया है | यह दोनों ही नेता फिलहाल अभी अपने-अपने प्रभार वाले राज्यों में हैं और पार्टी कार्यकतार्ओं के साथ मुलाकात कर रहे हैं |
उधर दिल्ली के ही एक विधायक दिनेश मोहनिया को उत्तराखंड का प्रभार सौंपा गया है | वह भी जनवरी माह में उत्तराखंड में एक दर्जन स्थानों पर जा रहे हैं | आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के तो 65 जिलों में बकायदा प्रभारियों की नियुक्ति भी कर ली है | यहां भी यह तैयारी पंचायत चुनाव लड़ने के उद्देश्य से की जा रही है | अरविंद केजरीवाल खुद उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी का ऐलान कर चुके हैं | दरअसल इस ऐलान के पीछे पार्टी की एक खास रणनीति है | आम आदमी पार्टी दिल्ली से सटे हुए राज्यों में अपना संगठन मजबूत करने में जुटी है | संगठन बनाने और मजबूत करने का लक्ष्य है भले ही विधानसभा चुनाव लड़ना है लेकिन इसकी शुरूआत पंचायत और निगम चुनाव से की जा रही है |