छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में 600 करोड़ का नया घोटाला, पूर्व मुख्यमंत्री करप्शन बघेल की नाक के नीचे पंचायत विभाग की केंद्रीय धनराशि को CGMSC में ट्रांसफर कर गटक गए अधिकारी और कारोबारी…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए खर्च होने वाली 15 वें वित्त की 600 करोड़ की राशि नियमों के विपरीत स्वास्थ्य विभाग के CGMSC में ट्रांसफर कर कागजों में खर्च कर दी गई। सरकारी दस्तावेज बताते है कि इतनी मोटी रकम का मद परिवर्तन कर उसे दवा और उपकरण खरीदी में व्यय दर्शा दिया गया है। जानकारी के मुताबिक ग्रामीण और पंचायत विभाग की इस मूलभूत रकम को 15 वें वित्त आयोग के माध्यम से विकास कार्यों में खर्च किया जाना था। लेकिन तत्कालीन सरकार में प्रभावशील अधिकारियों ने इस राशि पर ही हाथ साफ कर दिया। इस मद कों ग्रामीण इलाकों में व्यय ना करते हुए घोटाले के लिए मोटी रकम CGMSC को सौंप दी गई थी। सूत्र तस्दीक करते है कि पूर्ववर्ती भूपे सरकार में पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री के अलावा स्वास्थ्य विभाग की कमान टीएस सिंहदेव के हाथों में थी।

लिहाजा, दोनों ही विभाग में पदस्थ तत्कालीन अधिकारियों ने एक राय कर यह रकम CGMSC में स्थानांतरित कर दी थी। जानकारी के मुताबिक यह धन राशि सीजीएमएससी के माध्यम से दवा और उपकरण खरीदी में खर्च कर दिया जाना दर्शाया गया है। केंद्र और राज्य सरकार के पोर्टल में पंचायत विभाग की उपयोगिता विवरणिका में इस बारे में अभी तक कोई जानकारी दर्ज नहीं की गई है। बताया जा रहा है कि इस रकम के दुरुपयोग की जानकारी सामने आते ही विभाग में हड़कंप है। ग्रामीण और पंचायत विभाग के पोर्टल में इस रकम की उपयोगिता ना दर्शाये जाने को लेकर केंद्र सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई है।    

छत्तीसगढ़ में करोड़ों के दवा घोटाले मामले में अब तक एक मात्र दवा-उपकरण सप्लायर कंपनी के खिलाफ EOW में मामला दर्ज कर विवेचना जारी है। इस मामले की जांच के दौरान फंड के दुरुपयोग का यह एक नया मामला सामने आया है। सूत्र तस्दीक करते है कि स्वास्थ्य विभाग के कतिपय अधिकारियों का नाम CGMSC घोटाले में सामने आने के बाद उन अधिकारियों के द्वारा अंजाम दिए गए अन्य घोटालों और गड़बड़ी के नए मामले विभाग में चर्चा का विषय बने हुए है। कोरोना लहर के दौरान आपदा में अवसर मिलते ही अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ करने के मामलों में जरा भी देरी नहीं की थी। 

जानकारी के मुताबिक प्रदेश में 2021-22 से 2023-24 तक की तीन सालों में करीब 600 करोड़ रुपए 15 वें वित्त आयोग से पंचायत विभाग को स्वीकृत किये गए थे। बताया जा रहा है कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के स्टाफ ने इस रकम के हेरफेर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रकरण में तत्कालीन ओएसडी और अन्य चर्चित अधिकारियों का नाम सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग में दवा और उपकरण खरीदी के लिए सालाना राज्य सरकार पृथक से फंड आवंटित करती है।

ऐसे में ग्रामीण एवं पंचायत विभाग की राशि आखिर किस नियमों के तहत स्वास्थ्य विभाग में स्थानांतरित कर खर्च कर दी गई ? इसे लेकर जहाँ महकमे में माथापच्ची जारी है, वही जिम्मेदार अधिकारियों को रकम की उपयोगिता दर्ज करने को लेकर पसीना छूट रहा है। केंद्र सरकार के पोर्टल में आखिर क्या दर्ज किया जाये ? इन अफसरों को जवाब देना मुश्किल हो रहा है। सूत्र तस्दीक करते है कि CGMSC में पूरे 5 वर्ष तक एक से बढ़कर एक घोटाले अंजाम दिए गए थे। महकमे से जुड़े कुछ वरिष्ठ अफसरों ने न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए कहा कि विभागीय बजट का आवंटन और स्वीकृति निर्धारित होने के बाद उस धन राशि का प्रयोजन बदला नहीं जा सकता।

इसके लिए कैबिनेट की स्वीकृति अनिवार्य होती है। मंत्री परिषद की स्वीकृति-अनुमति के बाद मद प्रयोजन का नियमतः राजपत्र में प्रकाशन किया जाता है। नाम ना जाहिर करने की शर्त पर नव नियुक्त अधिकारियों ने तस्दीक की है कि पंचायत विभाग की राशि को स्वास्थ्य विभाग में बिना प्रशासकीय अनुमोदन के ट्रांसफर कर दिया गया था। फ़िलहाल, इस प्रकरण को लेकर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एवं मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। उधर दबी जुबान से ही सही कई जिम्मेदार अधिकारियों ने इस नए घोटाले की भी उच्च स्तरीय जांच पर जोर दिया है।