Site icon News Today Chhattisgarh

PMO में एक शिकायत , रेलवे PSU चीफ को PM मोदी ने लाया सड़क पर , सभी अधिकार सीज , अफसर ने खुद के घर को प्रतिमाह 2 लाख किराये पर बनाया ‘सरकारी गेस्ट हाउस , वीजा से लेकर सब्जी तक सब फ्री , अब एक्शन

दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के PMO में दर्ज होने वाली शिकायतो पर संज्ञान लिया जाना उनके प्रति विश्वास को मजबूती प्रदान करता है। PMO में रेलवे चीफ के खिलाफ हुई एक शिकायत की जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी। इस जांच पर PMO के रुख को देखते हुए रेलवे ने आईआरएफसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेश अमिताभ बनर्जी की सभी शक्तियों को छीन लिया है। उन पर सरकारी रकम के दुरुपयोग और बेगारी का आरोप है. बनर्जी के खिलाफ विजिलेंस जांच में बहुत अहम खुलासे सामने आये हैं। 

रेल मंत्रालय ने आज पीएसयू इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अमिताभ बनर्जी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। बनर्जी से रेलवे मंत्रालय ने उनकी सभी शक्तियों को तत्काल रूप से उनसे छीन लिया है. अमिताभ बनर्जी पर सरकारी फंड के दुरुपयोग , बेगारी और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते ट्रैन से उतार दिया गया है। दरअसल, अमिताभ बनर्जी के खिलाफ रेलवे को एक शिकायत मिली थी, जिसके बाद विजिलेंस जांच के आदेश दिए गए थे। 

जांच में पाया गया कि 2020 में बनर्जी अपने परिवार के साथ नई दिल्ली के ग्रीन पार्क एक्सटेंशन में चार बेडरूम वाले मकान में शिफ्ट हो गए थे. उनके बाद उन्होंने अपने सरकारी घर को ही IRFC के ‘गेस्ट हाउस’ में तब्दील कर दिया था। इसका वे लगभग 2 लाख रुपये प्रति माह का किराया रेलवे से वसूलते रहे। यह भी तथ्य सामने आया कि अमिताभ बनर्जी ‘खाद्य पदार्थों’ के लिए 30 हजार रुपये प्रति माह रेलवे से अलग से वसूला करते थे।

उनके कथित गेस्ट हाउस में एक ही ‘खाद्य पदार्थ’ दिन में दर्जनों बार खरीदा जाता था। इसके हजारो के बिल वे खुद ही अरेंज करके जमा कर दिया करते थे। विजिलेंस जांच में ‘मिस लिनिअस आइटम्स’ के रूप में बहुत सारे फर्जी खर्चे दिखाए गए है। बताया जाता है कि घर के तमाम निजी खर्चो का भी भुगतान रेलवे के फंड से होता था। 

शिकायत में दर्ज कई तथ्य सही पाए गए। इसके अनुसार ‘गेस्ट हाउस’ को 70,000 रुपये प्रति माह पर एक फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन आदि सामान किराए पर लेकर रखा गया था। यह सामान बनर्जी का बताया जाता है। इसका वो अलग से किराया वसूलता था। किराये के सामानो का भुगतान उस वस्तु के मूल्य से अधिक पाया गया। यही नहीं तथाकथित गेस्ट हाउस के तमाम खर्चे पर परिवार के लिए उनके अलग घर में रसोइया, हेल्पर और सफाई कर्मचारियों को चौबीसों घंटे ड्यूटी पर तैनात किया गया था। 

शिकायत में दर्ज कई तथ्य सही पाए गए। इसके अनुसार ‘गेस्ट हाउस’ को 70,000 रुपये प्रति माह पर एक फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन आदि सामान किराए पर लेकर रखा गया था। यह सामान बनर्जी का बताया जाता है। इसका वो अलग से किराया वसूलता था। किराये के सामानो का भुगतान उस वस्तु के मूल्य से अधिक पाया गया। यही नहीं तथाकथित गेस्ट हाउस के तमाम खर्चे पर परिवार के लिए उनके अलग घर में रसोइया, हेल्पर और सफाई कर्मचारियों को चौबीसों घंटे ड्यूटी पर तैनात किया गया था। 

बनर्जी ने हाल ही में परिसर खाली कर दिया और कैलाश कॉलोनी में अपने पट्टे पर एक घर में स्थानांतरित हो गए. रेलवे की जांच में एक और अहम बात सामने आई. बनर्जी को देश की अपनी आधिकारिक यात्रा के लिए 2019 में 10 साल का यूके वीजा मिला, जिसके लिए उन्होंने लगभग 98,000 रुपये के वीजा शुल्क का दावा किया. विजिलेंस जांच ने सवाल किया कि जब बनर्जी 2023 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं तो कंपनी ने उनके निजी (गैर-आधिकारिक) पासपोर्ट पर 10 साल के महंगे वीजा का भुगतान क्यों किया. विजिलेंस ने पूछा कि छोटी अवधि का वीजा क्यों नहीं लिया गया। सूत्र बताते है कि इसका संतोषजनक जवाब बनर्जी नहीं दे पाए। 

बनर्जी ने अपनी माँ के इलाज के लिए फर्जी बिलो को पेश कर रेलवे को जमकर चूना लगाया। उसने मात्र 8 किलो मीटर की दूरी तय करने के लिए 1.54 लाख रुपये का भुगतान एक साधारण एम्बुलेंस को किराये के रूप में किया। सूत्रों के मुताबिक बनर्जी ने पिछले साल अप्रैल में कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान अपनी बीमार मां के लिए एक निजी विक्रेता से एक एम्बुलेंस किराए पर ली थी।

उसने अपनी माँ को मरीज बता कर ग्रीन पार्क से अपोलो अस्पताल तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस शुल्क के रूप में 1.54 लाख रुपये रेलवे से ही वसूले. जबकि इसके लिए कोई वैधानिक दस्तावेज और कोई बिल नहीं संलग्न किया था। मरीज को अपोलो से उत्तर रेलवे अस्पताल ले जाने के लिए 19,000 रुपये में एक और एम्बुलेंस किराए पर ली गई. रिकॉर्ड के अनुसार, ऑक्सीजन रिफिल आदि के लिए 10,500 रुपये जैसे अतिरिक्त खर्च थे, यह भी विभाग ने ही दिए.

बनर्जी को 12 अक्टूबर, 2019 को नियुक्त किया गया था. दस्तावेज बताते हैं कि 14 अक्टूबर से 2 नवंबर, 2019 तक उनके कार्यालय ने व्यक्तिगत घरेलू सामान खरीदने के लिए 77,000 रुपये खर्च किए. खरीदे गए कुछ सामान थे: बॉल पेन: 2,290 रुपये; फोटो शूटिंगः 8,000 रुपये; शॉपर्स स्टॉप आइटम (तौलिया, दीवार घड़ी, कांच, वैक्यूम बोतल, सर्विस ट्रे और कोस्टर): 33,462 रुपये; तौलिए: 3,000 रुपये; स्मार्ट बल्ब: 14,612 रुपये; लेबर चार्ज: 6,000 रुपये। ये दास्तान सिर्फ रेलवे चीफ बनर्जी की नहीं बल्कि रेलवे मंत्रालय के कई रेल मंडलो के आला अफसरों की भी है। फिलहाल बनर्जी का नंबर सबसे ऊपर बताया जाता है। 

Exit mobile version