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अजब-गजब: एक समुदाय ऐसा भी, सुहागन होते हुए भी गुजारना पड़ता है विधवा की जिदंगी, पति जाते हैं काम पर बाहर, पत्नियां खुद को बना लेती हैं विधवा

नई दिल्ली। देश के कई समुदायों (communities) में भी ऐसी परंपराएं (traditions) कायम हैं, जो देखने-सुनने में अजीब (strange) लगती है। हिंदू धर्म (Hindu Religion) में शादी के बाद सुहागिन महिलाओं के लिए श्रृंगार (makeup) सुहाग का प्रतीक होता है। उत्तर प्रदेश के देवरिया (Deoria) जिले में महिलाएं शादी के बाद भी विधवा (Widow) वाला जीवन व्यतीत करती हैं।

हर सुहागन चूड़ी, बिंदी और पूरे श्रृंगार में रहना चाहती हैं। लेकिन एक समुदाय ऐसा भी है, जहां कि महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए विधवा का जीवन व्यतीत करती हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से उनकी कुल देवी प्रसन्न होती हैं और उनके पति की उम्र लंबी होती है।

गछवाहा समुदाय में हर साल पांच महीने तक मातम मनाया जाता है। इस दौरान इस गांव के लगभग सभी मर्द पेड़ों से ताड़ी निकालने का कार्य करते हैं। जब यहां के मर्द इस काम के लिए बाहर निकलते हैं तो उनको पत्नियां खुद को विधवा बना लेती है और विधवाओं जैसा जीवन व्यतीत करने लग जाती है। लेकिन अपने पतियों के वापिस आने पर उनका जोरदार स्वागत करती है।

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