
बीजिंगः चीनी सेना में भारी बगावत का मामला सामने आया है। इसके चलते राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अब नौसेना चीफ ऑफ स्टाफ समेत अपने एक टॉप न्यूक्लियर साइंटिस्ट को उनके पद से हटा दिया है। इससे पीएलए के अन्य अधिकारियों के बीच भी हड़कंप मच गया है। चीनी सेना में टॉप अधिकारियों को हटाए जाने का सिलसिला चीन में महीनों से चल रहा है। इसके पहले भी जिनपिंग अपने कई टॉप सैन्य अधिकारियों को भ्रष्टाचार, भरोसेमंद नहीं होने और गलत आचरण समेत दूसरे आरोपों में हटा चुके हैं।
अब जिनपिंग ने किन पर गिराई गाज
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के अनुसार राष्ट्रपति जिनपिंग ने चीनी नौसेना के चीफ ऑफ स्टाफ और परमाणु वैज्ञानिक को शीर्ष विधायिका से निकाल दिया है। सैन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की चपेट में PLA के कई जनरल आ चुके हैं। अब जिनपिंग ने चीन की नौसेना के चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल ली हानजुन और एक वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक लियू शिपेंग को देश की शीर्ष विधायिका, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC), से निष्कासित कर दिया है। यह कदम चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और रक्षा उद्योग में चल रहे व्यापक अनुशासनात्मक अभियान का हिस्सा माना जा रहा है। NPC की स्थायी समिति ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि “नेवी सर्विसमेन कांग्रेस” ने ली हानजुन को 14वीं राष्ट्रीय जन कांग्रेस के प्रतिनिधि पद से हटा दिया है। वहीं, चीन के गांसू प्रांत की पीपुल्स कांग्रेस ने लियू शिपेंग को NPC के उपप्रतिनिधि पद से हटा दिया है।
पूर्व जनरल मियाओ हुआ पर भी गिर चुकी है गाज
इसके अलावा, PLA में वैचारिक कार्यों की देखरेख करने वाले पूर्व शीर्ष जनरल मियाओ हुआ को भी केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) से हटा दिया गया है। यह आयोग चीन की सर्वोच्च सैन्य कमान है, जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति शी जिनपिंग करते हैं। NPC की सदस्यता से हटाए जाने का मतलब है कि ली और लियू पर गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। चीन आमतौर पर अपनी सेना में होने वाली अंदरूनी कार्रवाइयों के बारे में सार्वजनिक रूप से ज्यादा जानकारी नहीं देता, लेकिन NPC की घोषणाएं इन कार्रवाइयों का संकेत मानी जाती हैं।
कौन हैं नेवल चीफ हानजुन?
60 वर्षीय ली हानजुन के बारे में सार्वजनिक जानकारी बेहद सीमित है। चीफ ऑफ स्टाफ बनने से पहले वह CMC के प्रशिक्षण और प्रशासन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर थे। उन्होंने सुधार और संगठनात्मक संरचना कार्यालय में भी एक वर्ष तक काम किया था। 2014 में उन्हें फुजियान प्रांत में नौसेना बेस का कमांडर नियुक्त किया गया था और उसी समय उन्हें वाइस एडमिरल का पद दिया गया। उन दिनों ली चीन की नेवल कमांड कॉलेज में प्रशिक्षण निदेशक थे और जल्द ही संस्थान के अध्यक्ष बने। माना जाता है कि मियाओ हुआ के साथ ली का कार्यकाल फुजियान में समानांतर चला था।
परमाणु वैज्ञानिक शिपेंग पर क्यों गिरी गाज
दूसरी ओर, लियू शिपेंग एक अत्यंत गोपनीय और रणनीतिक क्षेत्र में कार्यरत थे। उन पर जिनपिंग ने क्यों गाज गिराई, इस बारे में अभी किसी को स्पष्ट जानकारी नहीं है। वे चीन की सिविल और सैन्य परमाणु परियोजनाओं की निगरानी करने वाले चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन (CNNC) में डिप्टी चीफ इंजीनियर थे। साथ ही, वे गांसू स्थित CNNC के “404 बेस” के चेयरमैन और कम्युनिस्ट पार्टी सचिव भी थे। 404 बेस, जो 1,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला है, 1958 में स्थापित हुआ था और यह चीन का पहला व सबसे बड़ा परमाणु अनुसंधान केंद्र है। यहीं 1964 में चीन का पहला परमाणु बम और 1967 में पहला हाइड्रोजन बम तैयार किया गया था।
यह केंद्र आज भी चीन की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता और रक्षा उद्योग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। गांसू सरकार ने 2023 में लियू को “गांसू का उत्कृष्ट उद्यमी” घोषित किया था। इन निष्कासन और हटाए जाने की कार्रवाइयों से यह स्पष्ट हो रहा है कि चीन की सेना और रक्षा क्षेत्र में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता के खिलाफ बड़ा अभियान चल रहा है।