तेलंगाना से कोंटा तक की 6 दिन पदयात्रा, आखिरकार प्रवासी मजदूर परिवार को शिविर में नहीं मिली जगह, इसे कहते है जख्म वही है जो छिपा दिया जाए, जो बता दिया जाए उसे तमाशा कहते हैं 

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रिपोर्टर – रफीक खांन

सुकमा / बीते चार हफ्तों लगभग पचास दिनों के आसपास से जारी लाॅक डाउन के चलते जिस तरह चारों दिशाओं में प्रवासी मजदूरों की कमर टूटी है । यह सब जानते हैं किंतु जख्म वही है जो छिपा दिया जाए जो बता दिया जाए उसे तमाशा कहते हैं । ऐसी ही एक कहानी के साथ छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिला के लोरमी थाना अंतर्गत बांधी गाँव का परिवार बितें छः दिनों से पैदल चलते हुए छत्तीसगढ़ के कोंटा बार्डर पहूंचा । अजीत कुमार पिता राम सिंह पत्नी सुक्दा व छः वर्ष तीन वर्ष के दो छोटे छोटे बच्चों के साथ तेलंगाना तालपुरी हनुमान जंक्शन से सुकमा जिला के कोंटा पहूंचने पर इस परिवार को आइसोलेशन सेंटर में लाया गया।

फिर उसे यह कहाँ गया कि तुम को यहाँ नहीं रहना है दुसरे जगह रहना है । यहां से जाओ तो वह परिवार वहाँ से निकल नेशनल हाइवे तीस में पैदल चल अपनी मंजिल की ओर निकल पड़ा है । न्यूज टुडे द्वारा उस परिवार को आइसोलेशन सेंटर में रह कर अपने जिला जाने समझाईश दी गई और आग्रह किया तो कह दिया गया कि। वहां तो गये थे किंतु यहाँ नहीं रहना करके भेज दिया गया तो फिर कहाँ कैसे वापस जायेंगे। जिसके बाद उक्त परिवार की जानकारी एसडीएम कोंटा को दी गई है ।