मात्र 500 रूपये की वृद्धावस्था पेंशन को लेकर 100 साल की बुजुर्ग मां को चारपाई पर लेटाकर ले जाया गया बैंक , 60 साल की बेटी ने कराई क़ानूनी औपचारिकता पूरी , निर्दयी बैंक कर्मियों ने बुजुर्ग महिला को देखने के बाद की कागजी खानापूर्ति  

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रिपोर्टर – अरविंद यादव 

महासमुंद / एक बुजुर्ग महिला की तस्वीर सोशल मिडिया पर वायरल हुई | यह बुजुर्ग महिला चारपाई पर लेटकर बैंक पहुंची थी | दरअसल वो ना तो चल फिर सकती है , और ना ही बैंककर्मी मानवता का परिचय देकर उसके घर तक आ सकते है | लिहाजा एक 60 साल की महिला अपनी 100 साल की मां को चारपाई में लिटाकर बैंक पहुंची | यह तस्वीर बैंकों के कामकाज के तौर-तरीके को जाहिर करती है | करीब 100 साल की मां को चारपाई पर लिटाकर जब उसकी 60 वर्षीय बेटी बैंक पहुंची तो इस नजारे को देखकर लोग बैंक कर्मियों को कोसते रहे | उधर बेशर्म बैंककर्मी हकीकत से रूबरू होने के बाद कागजी खानापूर्ति में जुट गए | बताया जाता है कि  मामला वृद्धा पेंशन से जुड़ा हुआ है। 

छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सरहद से सटे इलाके की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों ने सरकारी व्यवस्थाओं पर कटाक्ष शुरू कर दिया है | मामला खरियार ब्लॉक के एक बैंक से जुड़ा है। उड़ीसा के नुआपाड़ा जिले के इस बैंक की गैरजिम्मेदारी देश भर में चर्चा का विषय बन गई है | इस बैंक में चारपाई पर लेटी अपनी मां को लेकर एक महिला ग्राहक पहुंची थी | इस महिला का नाम पूंजीमती है । इसे संयोग ही कहिये कि जिस महिला का नाम पूंजीमती है, ना तो उसके पास और ना ही उसकी मां के पास पूंजी है | अपनी वृद्ध मां के जीवित होने का प्रमाण लेकर पूंजीमती बैंक पहुंची थी | इस बैंक में उसकी बुजुर्ग मां का जन-धन खाता है। इस खाते में 500 रुपए की तीन किश्ते जमा हो गई थीं। इस रकम को निकालने के लिए मां बेटी कई दिनों से प्रयासरत थी | उधर बैंकवालों ने कहा था कि पेंशन चाहिए, तो वेरिफिकेशन के लिए वृद्धा को बैंक आना होगा। लिहाजा मजबूरी में 60 वर्षीय महिला ने अपने घर से करीब 500 मीटर दूर स्थित बैंक तक अपनी 100 वर्षीय मां को चारपाई पर लिटाकर ले गई। उसके पास इतनी रकम भी नहीं थी कि वो ऑटो रिक्शा या अन्य किसी साधन किराये पर लेती | लिहाजा उसने चारपाई घसीटते हुए बैंक तक जाना मुनासिब समझा | यहां बैंक कर्मियों ने वृद्धा का अंगूठा लिया, तब कहीं पेंशन मिल सकी। 

उधर इस मामले को लेकर जब बैंक कर्मियों का अपना तर्क है | उत्कल ग्राम्य बैंक के मैनेजर अजित प्रधान ने तर्क दिया कि बिना वेरिफिकेशन के खाते से पैसे नहीं निकाले जा सकते। बैंक में भीड़ अधिक होने से फिजिकल वेरिफिकेशन संभव नहीं था। इसलिए ग्राहक को बैंक बुलाया गया था | उन्होंने अपनी सफाई देते हुए कहा कि एक दिन बाद वे बैंक से घर जाकर उस बुजुर्ग महिला का वेरिफिकेशन करते | फ़िलहाल तो इस घटना ने बैंककर्मियों के  मानवीय व्यवहार पर सवालियां निशान लगा दिया है |