राज प्रकाश
रांची : झारखण्ड के मुख्यमंत्री के निवास में ईडी से होने वाली पूछताछ को लेकर हेमंत सोरेन इस वक्त वकीलों और अफसरों से चौतरफा घिरे हुए है। कोई उन्हें घोटाले की क़ानूनी हकीकत समझा रहा है, तो कोई जाँच के नाम पर कन्नी काटने की सलाह दे रहा है। उन्हें भरोसा दिलाया जा रहा है कि क़ानूनी दावं -पेचों का सहारा लेकर उन्हें 100 फीसदी ED के चंगुल से छुड़ा लिया जाएगा। इसी आधार पर सीबीआई से भी मुक्ति मिल जाएगी।
इस भीड़ में मुख्यमंत्री सोरेन को ”कका एप्प ” डाऊनलोड करने को लेकर फटकार भी लगाई जा रही है। उनके करीबी टीचर की तर्ज पर बता रहे है कि ”कका एप्प ” के चलते ही आज ED और सीबीआई के चंगुल में वे फंसते जा रहे है। बताया जाता है कि 3 नवम्बर को हाजिर होने का ED का नोटिस मुख्यमंत्री के संज्ञान में 1 नवम्बर को राज्योत्सव के दिन लाया गया था। फिर नोटिस और पूछताछ की प्रक्रिया सोचकर मुख्यमंत्री सोरेन दिन रात बेचैन नजर आ रहे है।
”कका एप्प ” की कस्टमर ID के प्रभारी और सभी घोटालो के मामले में सोरेन के सहयोगी पंकज मिश्रा काफी पहले जाँच एजेंसियों के हत्थे चढ़ चुके है। उसने अपनी गिरफ्तारी के दौरान असलियत उगल दी है। उसकी निशानदेही पर उसके ही घर साहिबगंज में छापेमारी के दौरान ईडी ने एक लिफाफा जप्त किया था। जिसके तार सीएम से जुड़े बताये जाते हैं।
जांच एजेंसी ने 8 जुलाई को झारखंड और छत्तीसगढ़ में सोरेन के सहयोगी पंकज मिश्रा और उनके व्यापारिक सहयोगियों से जुड़े 18 ठिकानों पर भी छापेमारी की थी। इसके अलावा, प्रेम प्रकाश के घर से मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा के लिए तैनात जवानों के नाम आवंटित दो एक-47 और 60 गोलियां भी ईडी ने जब्त की थी. वहीं जिस दौरान पंकज मिश्रा रिम्स में भर्ती था, उस दौरान फोन पर अधिकारियों से बात करने और मुख्यमंत्री के नाम पर उन्हें डराने के प्रमाण भी ईडी को मिले थे।
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क्या है कका एप्प ?
झारखण्ड में कका एप्प ED और सीबीआई के निशाने पर है। जानकारों के मुताबिक इस एप्प के जरिये शराब , माइनिंग , कोयला कारोबार , रेत – मुरम समेत अन्य खनिजों और उसके परिवहन के ठेके , ट्रांसफर पोस्टिंग , सरकारी योजनाओं और अन्य स्रोतों से होने वाली वसूली का पूरा लेखा -जोखा कका एप्प के जरिये होता है। ये पारदर्शी एप्प अवैध कमाई और उसके स्रोतों का पूरा पूरा लेखा -जोखा दर्ज करता है। बताया जाता है कि सरकारी मशीनरी जाम कर अवैध उगाही के हिसाब -किताब के लिए उपयोग में आने वाला कका एप्प काफी कारगर है।
मुख्यमंत्री के करीबी बताते है कि सोरेन बाबू को यह एप्प इसकी निर्माण स्थली छत्तीसगढ़ से प्राप्त हुआ था। पडोसी राज्य जैसी राजनैतिक परिस्थितियां लाभदायक नजर आने पर सोरेन ने हाथो हाथ इसे डाउनलोड कर लिया। लेकिन अब पछता रहे है। बताया जाता है कि झारखण्ड के सरकारी सिस्टम में डाउनलोड होते ही कका एप्प तेजी से काम करने लगा। छत्तीसगढ़ के आबकारी कमिश्नर AP त्रिपाठी को कका एप्प के संचालन के लिए सरकारी तिजोरी से करोडो की रकम बतौर नजराना पेश की गई थी। अब इस एप्प के जरिये रोजाना करोडो की आमदनी हो रही है। लेकिन सोरेन बाबू धरा गए।
दरअसल उनके लफंटों ने ऐसा रायता फैलाया कि शिबू सोरेन कुनबे की कुंडली खंगाली जाने लगी। मुख्यमंत्री और उनका कार्यालय भी ED और सीबीआई के लपेटे में आ गया। फिलहाल कल होने वाली ED पूछताछ को लेकर सोरेन और उनके अफसरों की बेचैनी साफ़ झलक रही है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के करीबी दो IAS अफसरों को केंद्र सरकार से कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद से मुख्यधारा की नौकरशाही ने मुख्यमंत्री सोरेन और उनके कार्यालय से किनारा कर लिया है।
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