छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री निवास में सिंधी समुदाय के प्रसिद्ध संत कंवरराम साहेब की शहदात को किया गया नमन, समाजबंधुओ ने ऐसे किया याद

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रायपुर : संत कंवरराम साहेब का शहदात दिवस आज रायपुर में मुख्यमंत्री निवास पर मनाया गया। इस मौके पर समाज सेवी अर्जुंन वासवानी समेत सिंधी समुदाय के कई महत्वपूर्ण लोग उपस्थित थे। संत कवर राम साहेब की फोटो पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनकी शहादत को नमन किया। बघेल ने शांति और उन्नति की उनसे कामना भी की। बताया जाता है कि संत कंवरराम बचपन से ही संतों के सानिध्य में रहे। इसलिए उन्हें भारतीय धर्म और संस्कृति का अच्छा -खासा ज्ञान था।  

संतों के प्रभाव के कारण वे ईश्वर भक्ति में रम गए। लोगों को उन्होंने अपने भजनों, सूफी कलामों के माध्यम से मानव प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने सारे विश्व को सत्य, अहिंसा, विश्व बंधुत्व, त्याग और बलिदान का मार्ग दिखाया। सिंधी सूफी संस्कृति के पैगाम को भारत के जन मानस तक पहुंचाने का काम संत कंवर राम ने अपने जीवन में किया था। उनके विचारो,  मूल्यों से परोपकार एवं मानव आदर्शों को नई दिशा मिली है।

संत कंवर रामजी का जन्म 13 अप्रैल सन् 1885 ईस्वी को बैसाखी के दिन सिंध प्रांत में सक्खर जिले के मीरपुर माथेलो तहसील के जरवार ग्राम में हुआ था। उनके पिता ताराचंद और माता तीर्थ बाई दोनों ही प्रभु भक्ति एवं हरि कीर्तन करके संतोष और सादगी से अपना जीवन व्यतीत करते थे। उदरपूर्ति के लिए ताराचंद एक छोटी सी दुकान चलाते थे। उनके जीवन में संतान का अभाव था। 

सिंध के परम संत खोतराम साहिब के यहां माता तीर्थ बाई हृदय भाव से सेवा करती थीं। संत के आशीर्वाद से उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम ‘कंवर’ रखा गया। कंवर का अर्थ है ‘कंवल’ अर्थात कमल का फूल। नामकरण के समय संत खोताराम साहिब ने भविष्यवाणी की कि जिस प्रकार कमल का फूल तालाब के पानी और कीचड़ में खिलकर खिल कर दमकता रहता है। वैसे ही इस जगत में  संत कंवरराम का संदेश भी सारे विश्व को कर्तव्य पथ, कर्म, त्याग और बलिदान का मार्ग दिखा रहा है।