दिल्ली : बलात्कार की धमकियों से जूझ रही DCW अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है|इसमें उन्होंने बलात्कार के दोषियों की सजा में छूट और पैरोल को प्रतिबंधित करने के लिए मजबूत कानूनों और नीतियों की मांग की है| दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा ने बिलकिस बानो और गुरमीत राम रहीम के मामलों का हवाला दिया है|उन्होंने मांग की है कि बिलकिस बानो के बलात्कारियों और गुरमीत राम रहीम को वापस जेल भेजा जाए|
मालीवाल का कहना है कि 2002 में गुजरात दंगों के दौरान जब बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था, तब वह 21 साल की थी|उन्होंने कहा कि बलात्कारियों ने पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो पर न केवल अत्यधिक क्रूरता की थी|बल्कि उनके 3 साल के बच्चे सहित उनके परिवार के 7 सदस्यों को भी मार डाला था|इसके बाद 2008 में मुंबई की एक सत्र अदालत ने इस मामले में 11 लोगों को सामूहिक बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी|
हालांकि, इस साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने 1992 की सजा में छूट की नीति का हवाला देते हुए बलात्कारियों को छोड़ दिया था|इसमें एक नियम के तहत कैदियों को उनकी सजा में कमी के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई थी|उनका आरोप है कि यह सीबीआई और विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) द्वारा दोषियों की रिहाई के खिलाफ आपत्ति जताने के बावजूद किया गया था |
दिल्ली महिला आयोग ने गुरमीत राम रहीम की पैरोल को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं | स्वाति मालीवाल ने कहा कि हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पैरोल पर रिहा किया है, जो बलात्कार और हत्याओं का दोषी है | पैरोल पर बाहर होने पर उसने कई ‘प्रवचन सभाओं’ का आयोजन किया है और खुद को बढ़ावा देने वाले संगीत वीडियो जारी किए हैं |
स्वाति मालीवाल ने इन घटनाओं को बहुत विचलित करने वाला करार दिया है|उन्होंने कहा है कि देश में सजा में छूट, पैरोल और यहां तक कि फरलो के मामले में मौजूदा नियम और नीतियां बेहद कमजोर हैं|इनमें राजनेताओं और दोषियों द्वारा अपने फायदे के लिए आसानी से हेरफेर किया जा सकता है|
ऐसे में आयोग ने राजनेताओं और प्रभावशाली दोषियों द्वारा छूट, पैरोल और फरलो की नीतियों में हेराफेरी का मुद्दा उठाया है और इन कानूनों और नीतियों की समीक्षा के लिए सिफारिश की है. आयोग ने सिफारिश की है कि बलात्कार, हत्या, तस्करी, तेजाब हमले और अन्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों के मामले में दोषियों की सजा में छूट की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए | उसकी दलील है कि ऐसे जघन्य अपराधों में असाधारण परिस्थितियों में सख्त शर्तों के साथ और केवल कुछ दिनों के लिए ही सजा काट रहे दोषियों को ही पैरोल और फरलो दी जानी चाहिए.