रायपुर : देश के किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री के लिए यह क्षण पीड़ा दायक,शर्मनाक और बेहद ख़राब माना जाता है कि उसके नेतृत्व में कोई अखिल भारतीय सेवाओं का अफसर किसी सामूहिक मकसद के लिए जेल की सैर करे|खासतौर पर सरकारी सरंक्षण में पनप रहे भ्रष्टाचार के मामले को लेकर आईएएस अधिकारियो का जेल दाखिल होना बेहद गंभीर मामला है|छत्तीसगढ़ में ऐसा ही हो रहा है|सरकारी सेवा की आड़ में रोजाना करोडो की ब्लैक मनी कमाना ही नहीं बल्कि आम जनता के कल्याण की योजनाओ में दगाबाजी करना देश द्रोह से कम कृत्य नहीं है|
छत्तीसगढ़ में यह सब कुछ सरकार की नाक के नीचे चल रहा था|इसका भंडाफोड़ उस वक्त हुआ जब आईटी-ईडी ने सक्रियता दिखाई|मुख्यमंत्री बघेल के करीबी अफसरों और कारोबारियों के ठिकानो से करोड़ो की नकदी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले प्याज के छिलको की तरह सामने आ रहे है|जाहिर है इस मामले में मुख्यमंत्री के नेतृत्व और कार्यप्रणाली के भी सवालों के घेरे में आ जाना ? अब सवाल यह उठ रहा है कि छत्तीसगढ़ में चल रही सामूहिक लूट को लेकर क्या मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भी जिम्मेदारी तय होना चाहिए या नहीं ?
छत्तीसगढ़ में यह वो ऐतिहासिक क्षण है,जब वर्ष 2009 बैच का आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई ईडी द्वारा जेल में दाखिल कराया गया|उसके साथ दो अन्य कोल कारोबारी सुनील अग्रवाल और सरकारी संसाधनों की लूट का दलाल सूर्यकांत तिवारी का चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी भी जेल की सीखचों के भीतर पहुंचा|इस नज़ारे को देखकर आम जनता जहाँ हैरत में है,वही अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों के नए कारोबार को देखकर केंद्र और राज्य सरकार भी सकते में है|
IAS लॉबी को यह क्षण भले ही नागवार गुजर रहा हो,लेकिन उसे भी अपने गिरेबान में झांकना होगा| सोचना होगा आखिर क्यों,रातो-रात करोड़पति बनने के चक्कर में उसके अफसर राजनेताओ के आपराधिक षडयंत्रो में बड़ी आसानी से सहभागी बन रहे है|
जानकारों की माने तो इन अफसरों के अलावा ईडी अन्य आईएएस रानू साहू ,जेपी मौर्य समेत कई अफसरों और कारोबारियों से लगातार पूछताछ कर रही है|मुख्यमंत्री बघेल की करीबी डिप्टी कलेक्टर और उप सचिव सौम्या चौरसिया भी इसमें शामिल है|यही नहीं कुछ एक आईपीएस अधिकारियो की काली करतूते भी संदेह के दायरे में है|
आने वाले दिनों रायपुर की इस सेंट्रल जेल में कई और चर्चित अफसरों को जेल में दाखिल कराए जाने के नज़ारे से इंकार नहीं किया जा सकता|आखिर ऐसे हालात क्यों बन गए ? विपक्ष ही नहीं सत्ताधारी दल को इस बारे में सोचना होगा ? सत्ताधारी दल ईडी की छापेमारी को राजनैतिक चश्मे से देख रहा है|लेकिन अफसरों और कारोबारियों के ठिकाने से बरामद हो रही ब्लैक मनी और उससे जुड़े दस्तावेज उसके आरोपों की असलियत जाहिर कर रहे है|
फिलहाल मुख्यमंत्री बघेल के लिए यह चुनौती भरा वक्त है, उन्हें हर हाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने होंगे|भ्रष्टाचार को सरंक्षण देने के मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय की ही विश्वनीयता दांव पर है|उनकी उपसचिव सौम्या चौरसिया के कारनामो से रायपुर से लेकर दिल्ली की शीर्ष अदालत भी वाकिफ है|
ऐसे समय क्या वे इस तथ्य से बेखबर है कि भ्रष्टाचार की जड़ें उनके करीब तक पहुँच गई है|उनके दामन पर भी अब सीधे भ्रष्टाचार की आंच आ रही है|ऐसा नहीं है कि काजल की कोठरी से बच निकलना उनके लिए कोई दूभर कार्य हो,फिलहाल सरकार की छवि निखारने और भ्रष्टाचार के खिलाफ शंखनाद के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरुरत है|
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