छत्तीसगढ़ में जल-जीवन मिशन के छलावे से मुख्यमंत्री बघेल की साख में बट्टा ,हजार करोड़ से ज्यादा के भुगतान लंबित रहने से अधर में योजना ,देंखे वीडियो

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में राज्य की आम जनता को पीने योग्य स्वच्छ जल मुहैया कराने के लिए जल-जीवन मिशन योजना संचालित हो रही है | इस योजना के तहत 16 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च कर केंद्र और राज्य सरकार वर्ष 2024 तक गांव-गांव और घर-घर में जल उपलब्ध कराने पर जोर दे रही है | लेकिन राज्य में यह योजना अफसरशाही की शिकार हो गई |

PHE विभाग के कई जिम्मेदार अफसरों ने इस योजना को भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का साधन बना लिया | नतीजतन ज्यादातर जिलों में जल-जीवन मिशन योजना से जुड़े अफसर विवादों में है | बताया जाता है कि ये अफसर 20 फीसदी से ज्यादा कमीशन की मांग पूरी करने वाले ठेकेदारों को ही तवज्जो देते है | उनकी मांग को दरकिनार करने वाले ठेकेदारों को योजना के कामकाज से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है | 

यह भी बताया जा रहा है कि जल-जीवन मिशन से आवंटित होने वाली सरकारी रकम को जमा रखने के लिए रायपुर में एक निजी बैंक में खाता खुलवाया गया है | इस खाते में केंद्र सरकार से मिलने वाली रकम को अनावश्यक रूप से महीनो बैंक में डिपॉज़िट रखा जाता है ,ताकि बैंक को फायदा हो और इन अफसरों की जेब गर्म होती रहे | उधर समय पर ठेकेदारों को भुगतान नहीं होने से ठेकेदारों और हजारो मजदूरों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है |

मजदुर बघेल सरकार को कोस रहे है ,जबकि ठेकेदार PHE विभाग के जिम्मेदार अफसरों को | दोनों ही मामलो में छत्तीसगढ़ सरकार की फजीहत हो रही है | उधर PHE विभाग में गड़बड़ी और घोटाले से घिरे अफसरों को विभागीय मंत्री के सरंक्षण का दावा किया जा रहा है | सूत्रों के मुताबिक जल-जीवन मिशन के फंडिंग वाले खाते को सरकारी के बजाय निजी बैंक को सौंपे जाने के लिए बैंक द्वारा 5 करोड़ की रकम का ऑफर चर्चा में है | सूत्रों का दावा है कि निश्चित प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही इस निजी बैंक ने जल-जीवन मिशन का अकाउंट खुलवाया गया है | 

उधर लंबित बिलो के भुगतान के लिए PHE के छोटे-बड़े ठेकेदार विभाग का चक्कर काट रहे है | उनकी दलील है कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के कारनामो के बावजूद मुख्यमंत्री बघेल जरा भी दखल नहीं देते | जबकि विभाग की इस कार्यप्रणाली से मंत्री पूरी तरह से वाकिफ है | उनके दरबार में उन्ही ठेकेदारों की सुनवाई हो रही है, जो घटिया निर्माण कार्य और टेंडर-निविदा की शर्तो का उल्लंघन कर अफसरों की शर्तो को पूरा कर रहे है |

ठेकेदारों के मुताबिक कई जिलों में पदस्थ एक्सक्यूटिव इंजिनियर ने साफ़ कर दिया है कि 20 फीसदी कमीशन की रकम वे अपने लिए नहीं बल्कि “ऊपर वालों” के लिए वसूल रहे है | ठेकेदारों ने घटिया कार्य और ऊँची कमीशन की रकम की मांग को लेकर 5 जिलों के जिम्मेदार एक्सक्यूटिव इंजीनियर्स के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है | इसमें राजनांदगांव के समीर शर्मा समेत रायपुर,महासमुंद,गरियाबंद और बेमेतरा के कार्यपालन अभियंता शामिल है | बताया जाता है कि ठेकेदारों ने इन अफसरों की शिकायते केंद्रीय जांच एजेंसियों से भी की है |

आज , प्रदेश भर के ठेकेदारों ने PHE के मुख्यालय नीर भवन में जल-जीवन मिशन के अफसरों को जमकर खरी-खोटी सुनाई | बावजूद इसके भुगतान के मामले में अफसरों ने ठेकेदारों को कोई ठोस जवाब नहीं दिया | बताया जाता है कि PHE के विभागीय मंत्री और उनके करीबी अफसरों की कार्यप्रणाली से मुख्यमंत्री बघेल सरकार की साख पर लगातार चोट पर चोट पड़ रही है |

पीड़ित ठेकेदारों ने PHE के अफसरों को ज्ञापन सौंपते हुए मुख्यमंत्री बघेल से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है | बड़ी तादाद में मजदुर कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगा रहे है | ठेकेदारों के लंबित भुगतान और जल-जीवन मिशन के कार्यो पर शासन का पक्ष जानने के लिए न्यूज़ टुडे ने विभागीय मंत्री और जिम्मेदार अफसरों से संपर्क किया | लेकिन हर कोई प्रतिक्रिया देने से बचता रहा |देंखे वीडियो……..