Fight Over ‘Real’ Sena : महाराष्ट्र में शिवसेना के नाम और सिंबल के इस्तेमाल पर पाबंदी , उद्धव ने बुलाई आपात बैठक , अब शिवसेना के अस्तित्व पर खतरा ?

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मुंबई / दिल्ली : महाराष्ट्र में शिवसेना के नाम और सिम्बल पर चुनाव आयोग की पाबंदी से हड़कंप मच गया है। शिवसेना रहेगी या फिर उसका अस्तित्व ख़त्म हो जायेगा। इसे लेकर माथा – पच्ची हो रही है। उद्धव ठाकरे ने आपात बैठक बुलाई है। वही शिंदे भी जोर आजमाइश के मूड में है।

राज्य में शिवसेना को लेकर एक तरफ उद्धव ठाकरे अपने गुट पर पिता दिवंगत बाल ठाकरे की विरासत का दावा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे अपने गुट को ‘असली’ बता रहे हैं. उधर चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों के बीच रस्साकशी को देखते हुए शिवसेना के मालिकाना हक़ का सेहरा किसके सिर बंधेगा।

चुनाव आयोग के फैसले के बाद अब उद्धव और एकनाथ दोनों में कोई भी गुट इस चुनाव चिन्ह का प्रयोग नहीं कर पाएगा. चुनाव आयोग दोनों ही गुटों को अलग-अलग सिंबल देगा जिस पर उपचुनाव के प्रत्याशी उतारे जाएंगे. चुनाव आयोग ने साफ कहा कि अंधेरी पूर्व में होने वाले उपचुनाव में दोनों गुटों में से किसी को भी शिवसेना का नाम और उसका चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।

  उद्धव और शिंदे गुट, दोनों को ही केंद्रीय चुनाव आयोग को 10 अक्टूबर तक नए चुनाव चिन्ह और अपने दल के नाम के बारे में बताना है जिनको वह इस अंतरिम आदेश के लागू रहने तक अपनाना चाहते हैं. 

नाम और चिन्ह के इस्तेमाल पर आयोग की पाबंदी के बाद क्या नाम और सिम्बल भविष्य में आवंटित होंगे या सीज हो जायेंगे। क्या ठाकरे और शिंदे के बीच नाम और सिंबल की लड़ाई भविष्य में थमेगी ? दरअसल  शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष बाण है, जिसपर दोनों ही गुट दावा कर रहे हैं। ठाकरे ,शिवसेना पर अपने पिता दिवंगत बाल ठाकरे की विरासत का दावा कर रहे हैं तो दूसरी ओर एकनाथ शिंदे इसे अपना बता रहे हैं.

शिवसेना के नाम और सिम्बल पर चुनाव आयोग की पाबंदी के बाद अब उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर ली है. उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने इस फैसले को अन्याय करार दिया है. उनके बेटे आदित्य ठाकरे इसे शिंदे गुट की शर्मनाक हरकत बता रहे है। तो  शिंदे का दावा है कि वे शिवसेना के असली वारिसान है।

वे इसके गठन से लेकर अब तक उसे सींचते आ रहे है। ठाकरे की विचारधारा को उद्धव ने बेच खाया था। अब वे उसे बचा रहे है। शिंदे गुट ने निर्वाचन आयोग के इस फैसले को सही बताया है. पार्टी के नेता व सांसद प्रतापराव जाधव ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करके शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की विचारधारा को त्याग दिया है. 

एक तरफ जहां उद्धव लगातार दिवंगत बाल ठाकरे के पुत्र होने के नाते अपने गुट को असली ‘शिवसेना’ बता रहे हैं तो वहीं, एकनाथ शिंदे भी पीछे नहीं हट रहे हैं. उन्होंने एक बार फिर मशहूर कवि एवं लेखक हरिवंशराय बच्चन के एक कविता के साथ ट्वीट किया था, जिसमें कहा गया है- ‘मेरे बेटे, पुत्र होने के कारण मेरा उत्तराधिकारी नहीं होगा, जो मेरा उत्तराधिकारी होगा वह मेरा पुत्र होगा। इससे साफ़ है कि आखिर क्यों शिवसैनिक और उनके विधायक – सांसद  शिंदे के साथ खड़े हो रहे है।