VIDEO : बारिश के इंतजार में खेतों में पड़ने लगी दरारे ,सूखने लगी फसल , अन्नदाता परेशान |

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किशोर साहू 

बालोद / यह पुराना टोटका है | कहा जाता है कि जब मानसून दगा दे जाए या फिर इंद्र देवता नाराज हो जाए तो मेंढक मेंढकी की शादी कर उन्हें मना लिया जाता है | इससे खुश होकर इंद्र देवता झमा झम बारिश की झड़ी लगा देते है | महासमुंद  के कई गांव में इनदिनों ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है | खेत खलियान हो या फिर गांव की चौपाल | जहाँ जगह मिली किसान इकठ्ठा होकर इंद्र देवता को खुश करने में जुटे है | दरअसल सिर्फ महासमुंद ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के दो दर्जन से ज्यादा गांव में सूखे का खतरा मंडराने लगा है | इन इलाको में मानसून ने शुरुआती दस्तक देकर किसानो की उम्मीदे बढ़ा दी थी | लेकिन अब मानसून की दगाबाजी ने इन किसानो  के अरमानो पर पानी फेर दिया है | बालोद जिले में तो शत प्रतिशत सूखे का खतरा मंडरा रहा है | किसानो के खेतो में बड़ी बड़ी दरारे पड़ गयी है | 
 

दरअसल मानसून के दस्तक देने के बाद इलाके के किसानो ने बुआई पूरी कर ली थी | लेकिन जैसे ही बुआई खत्म हुई, इलाके से मानसून ने अचानक मुँह मोड़ लिया | नतीजतन फसले सुख गयी और जमीनों पर बड़ी बड़ी दरारे पड़ने लगी | अब इन किसानो के पास ना तो सिचाई का पर्याप्त साधन है और ना ही नई फसल लगाने के लिए रकम | ऐसे में इन्हे अपने भविष्य की चिंता सता रही है | 

जिले में औसत से भी कम बारिश होने के चलते तालाब और नदियां सुखी हुई है | तांदुला जलाशय में भी बेहद कम पानी होने के चलते सिचाई के लिए तो दूर निस्तार के लिए भी पानी मुहैया कराना मुश्किल हो रहा है | प्रशासन की दलील है कि 33 फीसदी पानी पेय जल और निस्तारी के लिए रिजर्व रखना पड़ता है , जबकि अभी महज 20 फीसदी ही पानी है | लिहाजा होने वाली बारिश पर ही पानी देने की व्यवस्था निर्भर रहेगी |    

 छत्तीसगढ़ में मानसून की आंखमिचौली से किसानो की जान पर बन आयी है | इसबार मौसम विभाग ने राज्य में अच्छी बारिश की भविष्वाणी की थी | लेकिन पहले ही दौर में मानसून लगभग 20 देरी से आया और अब एका एक नदारद हो गया | मानसून की इस बेरुखी ने राज्य सरकार को भी मुश्किल में डाल दिया है |

https://youtu.be/73XoNMe7vJc