मध्यप्रदेश सरकार एक बार फिर उन दागी आईएएस-आईपीएस अफसरों की फाइल खोलने जा रही है, जिनके भ्रष्टाचार या अन्य गड़बडिय़ों से जुड़े मामले कई सालों से फाइलों में दबे हुए हैं। इनमें प्रदेश के 48 आईएएस अफसर ऐसे हैं, जिनके खिलाफ विभिन्न मामलों में 85 जांच चल रही हैं। जबकि कई आईएएस अधिकारी ऐसे हैं, जो रिटायर्ड हो चुके हैं और जिनके खिलाफ जांच लंबित है। इनमें सबसे ज्यादा 27 मामले आईएएस अधिकारी रमेश थेटे के विरुद्ध हैं। एक सवाल के जवाब में
विधानसभा में राज्य सरकार द्वारा पेश की गई जानकारी के अनुसार जिन अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है उनमें आर.डी. अहिरवार, आर.के. गुप्ता, सी.बी. सिंह, ओ.आर. तिवारी, रमेश थेटे, अखिलेश श्रीवास्तव, प्रकाश जांगरे, एन.बी.एस. राजपूत, विनोद शर्मा, वेदप्रकाश, एम.के. सिंह, प्रमोद अग्रवाल, डॉ एम गीता, विवेक पोरवाल, निसार अहमद, मुक्तेश वार्ष्णेय, अरुण तोमर, डॉ. जे विजय कुमार, अजीत केसरी, पी.एल. सोलंकी, मनीष श्रीवास्तव, मनीष सिंह, पी.एस. सोलंकी, मनोज श्रीवास्तव, अशोक शाह, प्रवीण अढायच, गोपाल चंद्र ढांड , एम.सी. चौधरी, रजनीश श्रीवास्तव, मनोज पुष्प, मनु श्रीवास्तव, अविनाश लवानिया, मुकेश शुक्ल, एन.एस. परमार, अरुणा शर्मा, उर्मिला शुक्ला, आर.पी. मंडल, एम कुजूर, डी.पी. तिवारी, सत्यप्रकाश वर्मा, अशोक वर्मा, एम.ए. खान, महेंद्र सिंह भिलाला, अंजु सिंह बघेल, लक्ष्मीकांत द्विवेदी, स्वतंत्र कुमार सिंह, श्रीनवास शर्मा, विनोद कुमार शर्मा शामिल हैं।
राज्य सरकार उन अफसरों की फ़ाइल भी खोलने जा रही है, जिन्हे पूरवर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में सबूतों के अभाव में बंद कर दिया गया था | इनमे से कई के खात्मे की रिपोर्ट भी तैयार की गयी थी | जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश सरकार एक बार फिर से उन दागी अधिकारियों की फाइल खोलने जा रही है जिनके केस वर्षों से दबे हुए हैं।
लोकायुक्त ने जहां सरकार से अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश करने की अनुमति मांगी है, वहीं दूसरी ओर तत्कालीन जांच अधिकारियों ने ऊपरी दबाव के चलते प्रकरण में साक्ष्य का अभाव बताकर 25 से ज्यादा मामलों में खात्मा लगा दिया था। इनमें एम.ए. खान, ए.के. श्रीवास्तव, होशियार सिंह, आर.के. गोयल, जगत स्वरूप, राकेश बंसल, एल.एन मीणा, रामजी दांडेकर, आई.सी.पी. केसरी, मोहन गुप्ता, बी.आर. नायडू, बी.एल. खरे, एके जैन, मोहम्मद सुलेमान और शहजाद खान शामिल हैं। इनमें से कुछ अब इस दुनिया में नहीं जबकि कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसा फायदा अन्य दागी अधिकारियों को न मिले इसके लिए एक बार फिर से पुरानी फाइलें खोले जाने की तैयारी चल रही है। मध्यप्रदेश लोकायुक्त वर्तमान में प्रदेश के लगभग 36 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच कर रहा है। लोकायुक्त संगठन के अलावा अन्य जांच एजेसियों में अफसरों के खिलाफ लंबित मामलों की लंबी फेहरिस्त है। मप्र के लगभग 25 आईएएस अधिकारियों की जांच मप्र आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो कर रहा है।
कई प्रकरणों की जानकारी सीबीआई और भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने भी मांगी है | सूत्र बताते हैं कि वर्षों से लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार के जो मामले लंबित हैं, उनकी जानकारी सीबीआई और कार्मिक मंत्रालय ने भी मंगाई है। जिन अधिकारियों का केस उनके पास पहुंचा है, उनमें उनका नाम है जिनके खिलाफ लोकायुक्त में वर्ष 2009 से भ्रष्टाचार की जांच चल रही है। इस सूची में प्रदेश के तीन दर्जन आईएएस अफसरों के नाम शामिल थे। इनमें कुछ अफसरों को लोकायुक्त क्लीनचिट दे दी है। लेकिन ज्यादातर अफसरों की जांच अभी तक लंबित है |