Indian Railway: रेलवे आरक्षण काउंटरों को बंद करने की खबर का रेलवे ने किया खंडन

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Indian Railway Latest Update: रेल आरक्षण काउंटरों को बंद करने को लेकर रेल मंत्रालय ने सफाई पेश की है. रेल मंत्रालय ने इस खबर का पूरी तरह खंडन किया है कि वो रेलवे ट्रेन आरक्षण काउंटरों को बंद करने की योजना बना रहा है. रेलवे ने कहा है कि वो ऐसी कोई कदम नहीं उठाने जा रहा है और ना ऐसा कोई प्रस्ताव रेलवे के सामने विचाराधीन है.

दरअसल कई जगहों पर इस प्रकार की खबरें आई कि भारतीय रेलवे अपने पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम में बदलाव की तैयारी कर रहा है. रेल आरक्षण काउंटरों को बंद कर इसे निजी हाथों के साथ आईसीआरटीसी को सौंपने की तैयारी की जा रही है. इस पर सुझाव देने के लिए एक फर्म को नियुक्त किया गया है.लेकिन वेस्टर्न रेलवे की तरफ से ये सबसे पहले ट्वीट किया गया है कि , ‘ कुछ मीडिया में ये प्राचरित किया जा रहा है कि रेलवे ट्रेल आरक्षण काउंटरों को खत्म करने की योजना बना रहा है. लेकिन रेलवे द्वारा ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है और ना रेलवे के सामने ऐसा कोई प्रत्साव कोई विचाराधीन है.’

आपको बता दें भारतीय रेल (Indian Railway ) फेक आईडी ( Fake Ids) के जरिए रेल टिकट बुक कराने वालों पर लगाम लगाने के लिए पैंसेजर रिजर्वेशन सिस्टम ( Passenger Reservation Sysytem) में बड़े बदलाव की तैयारी जरुर कर रहा है. आईआरसीटीसी ने पैंसेजर रिजर्वेशन सिस्टम ( PRS) में सुधार करने के लिए एडवाइजरी फर्म से सुझाव मांगा है. माना जा रहा कि रिपोर्ट आने के बाद सिस्टम में सुधार की शुरुआत की जाएगी.

रेलवे की सब्सिडियरी आईआरसीटीसी ने मौजूदा पैंसेजर रिजर्वेशन सिस्टम का अध्ययन करने उसमें सुधार करने को लेकर सुझाव देने के लिए ग्रांट थॉर्नटन ( Grant Thornton) नाम की फर्म को हायर किया है. रेलवे का फोकस इस बात पर है कि कैसे पैंसेजर रिजर्वेशन सिस्टम की कैपेसिटी को बढ़ाया जाए जिससे वो बड़ी संख्या में ट्रांजैक्शन को हैंडल कर सके. साथ ही बड़ा फोकस इस बात पर रहने वाला है कि फेक आईडी का इस्तेमाल कर कोई टिकट ना ले सके. सिस्टम में खामी के चलते फेक आईडी के जरिए तत्काल टिकट की ब्लाकिंग रेल टिकट दलाल करा ले रहे हैं. सॉफ्टवेयर में सुधार के जरिए इसपर रोक लगाई जा सके.

पैसेजर रिजर्वेशन सिस्टम में सुधार के साथ ही आईआरसीटीसी (IRCTC) की वेबसाइट और सर्वर की कैपेसिटी को भी बढ़ाया जाएगा जिससे वे ज्यादा से ज्यादा ट्रैफिक लोड को हैंडल कर सके. बहरहाल रेल काउंटर से तीन गुना ज्यादा टिकट लोग अब वेबसाइट और एप के जरिए कटा रहे हैं.