बीजिंग. अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद उसे घेरकर भले ही चीन ने एक बड़ा सैन्य अभ्यास किया और अपनी सैनिक क्षमता की धौंस दिखाई. फिर भी उसके ही एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन को यूक्रेन की जंग से सबक सीखने की जरूरत है. उसकी नेवी को एक बेहतर एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत है. रूस-यूक्रेन जंग से चीन के लिए एक बड़ा सबक ये है कि उसे अपनी नेवी की एयर डिफेंस क्षमताओं को मजबूत करने की जरूरत है. ये जरूरत तब और बढ़ जाती है जब ताइवान के खिलाफ कोई सैन्य अभियान चलाया जाए.
चीनी सैन्य पत्रिका नेवल एंड मर्चेंट शिप (Naval and Merchant Ships) के मुताबिक अप्रैल के मध्य में यूक्रेन ने रूस के ब्लैक सी फ्लैगशिप मिसाइल क्रूजर मोस्कवा को जमीन पर आधारित एंटी-शिप मिसाइल से डुबा दिया. एक महीने से भी कम समय के बाद यूक्रेनी अधिकारियों ने ड्रोन हमले के बाद काला सागर में एक दूसरे रूसी जहाज के डूबने की घोषणा की.
पत्रिका के एक लेख में कहा गया है कि चीन परंपरागत रूप से सतह के जहाजों पर अधिक जोर देता है. ये हथियार अपलोड करते समय और समुद्र को पार करते समय यह एक सही रणनीति थी, लेकिन जब दुश्मन के इलाके में उतरने के बाद हवाई और मिसाइल रोधी अभियान चलाने की बात आती है तो चीन की तैयारी कुछ खास नहीं दिखती. लेख में कहा गया है कि एस्कॉर्ट बेड़े का मुख्य काम नेवी के बेड़े को हवाई सुरक्षा और मिसाइल रोधी ढाल जैसी सहायता देना है, जो ताइवान के समुद्र तट पर पहुंचने पर हमलों की चपेट में आएगा.
जबकि चीन की नेवी की मिसाइल रोधी क्षमताएं कमजोर हैं. भले ही वे HQ-10 कम दूरी की वायु-रक्षा मिसाइलों से लैस हैं. HQ-16 वायु रक्षा मिसाइल का नौसैनिक संस्करण केवल 40 किमी (25 मील) की सीमा को कवर करता है. इसलिए यह संदिग्ध है कि वे नेवी को क्या और कब तक सुरक्षा दे सकते हैं.