नई दिल्ली : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की जांच का सामना कर रहे दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी ED आरोप पत्र दायर किया है. उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले ईडी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है. राऊज एवन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) थोड़ी देर में चार्जशीट पर संज्ञान लेने के लिए सुनवाई करेगा. सूत्रों के मुताबिक दायर चार्जशीट में सतेन्द्र जैन समेत 6 आरोपियों और 4 कंपनियों के नाम दर्ज हैं.
आरोपपत्र के मुताबिक आरोपियों का नाम और कंपनी का नाम प्रमुख तौर पर इस प्रकार से है-
- सतेंद्र जैन – दिल्ली सरकार में मंत्री
- पूनम जैन — सतेंद्र जैन की पत्नी
- वैभव जैन – प्रवीण जैन के रिश्तेदार
- अंकुश जैन – इसकी भी गिरफ्तारी हुई थी।
- सुनील कुमार जैन – अंकुश जैन के पिता
- अजित कुमार जैन -वैभव जैन के पिता
- अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड
- प्रयास इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड
- जे जे आईडियल
ईडी ने छापेमारी के दौरान जब्त की थी करीब दो करोड़ 35 लाख रूपये की नगदी और 133 सोने के सिक्के
जांच एजेंसी ईडी द्वारा 6 जून को दिल्ली-एनसीआर में कई लोकेशन पर छापेमारी की गई थी. उसी छापेमारी के दौरान करीब दो करोड़ 35 लाख रूपये की नगदी और 133 सोने के सिक्के समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, प्रॉपर्टी के दस्तावेज, सहित काफी बैंकिंग लेनदेन के दस्तावेजों को ईडी के द्वारा कुर्क किया गया था. हालांकि प्रॉपर्टी को अटैचमेंट करने की ये पहली घटना नहीं है, बल्कि इसी साल अप्रैल महीने में भी ईडी की टीम ने जांच पड़ताल के बाद मंत्री सतेन्द्र जैन और उनके परिवार से जुड़े लोगों के मालिकाना हक वाले कंपनियों की करीब चार करोड़ 81 लाख रूपये की संपत्तियों को ईडी ने कुर्क कर लिया था.
कब से जांच एजेंसी के रडार पर आए थे आम आदमी के वरिष्ठ नेता और मंत्री सतेन्द्र जैन
सतेन्द्र जैन के खिलाफ केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने साल 2017 में एक एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई द्वारा प्रवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. बाद में उसी मामले को आधार बनाते हुए जांच एजेंसी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. उस वक्त सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में साफ तौर पर इस बात का जिक्र था कि चार कंपनियों के मार्फत मनी लॉन्ड्रिंग की गई थी, लिहाजा जांच उन्हीं शेल कंपनियों के आसपास घूमनी शुरू हो गई थी.
ईडी के सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसी ईडी समेत कई अन्य जांच एजेंसियों के रडार पर दिल्ली सरकार के मंत्री सतेन्द्र जैन साल 2015- से 2016 के दौरान ही आ गए थे, क्योंकि जांच के दौरान ये पाया गया था कि साल 2015-16 के दौरान जब सतेन्द्र जैन दिल्ली सरकार में मंत्री थे यानी जब वो लोक सेवक पद पर कार्यरत थे, उसी दौरान उनके स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियों में ये पाया गया कि कोलकाता के एंट्री ऑपरेटर को हवाला के मार्फत भेजी गई रकम के बदले शेल कंपनियों से तकरीबन चार करोड़ 81 लाख रूपये की प्रविष्ठियां मिलीं.
ईडी के सूत्रों के मुताबिक, उन राशियों का उपयोग जमीन से जुड़ी खरीदारी, इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर के आसपास कृषि भूमि की खरीद को लेकर लिए गए कर्ज की अदायगी में किया गया था. लिहाजा इसी मामले की गंभीरता को देखते हुए साल 2018 में भी जांच एजेंसी ईडी द्वारा सतेन्द्र जैन समेत कई अन्य आरोपियों से पूछताछ की गई थी.