राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) अपने कार्यकाल से मुक्त हो रहे हैं. वहीं, आज कानपुर देहात (Kanpur Dehat) में उनके पैतृक गांव परौंख में रहने वाले लोगों की जुबान पर बस यही बात थी कि वह कुछ दिन और पद पर रहते थे तो इलाके का और विकास हो जाता. हालांकि उन्हें पता है कि राष्ट्रपति का पद एक निश्चित अवधि का होता है और कार्यकाल की समाप्ति के बाद पद त्याग करना पड़ता है.
राष्ट्रपति के गांव को मिली नई पहचान
कुछ छात्राओं ने कहा कि रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के दौरान गांव को बहुत कुछ मिला, स्वास्थ्य सेवाएं मिलीं. शिक्षा के लिए स्कूल मिले और सड़क और बिजली की भी व्यवस्था हुई. उन्होंने कहा कि गांव की स्थिति पहले बदहाल थी और उसे अब नई पहचान मिल गई है. राष्ट्रपति कोविंद का बचपन इसी गांव में बीता और शुरुआती पढ़ाई यहीं से हुई है.
संसद के सेंट्रल हॉल विदाई समारोह
बता दें कि हाल में संपन्न राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को जीत मिली है. अब वह रामनाथ कोविंद का स्थान लेंगी. वहीं, आज रामनाथ कोविंद को विदाई दी गई. संसद भवन के सेंट्रल हॉल में विदाई समारोह का आयोजन किया गया था. उन्हें इस दौरान स्मृति चिह्न और सांसदों के हस्ताक्षर वाली पुस्तिका भेंट की गई. विदाई समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि सभी पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर जनता की भलाई के लिए काम करना चाहिए.