भ्रष्टाचार को लेकर NTPC गंभीर ,लेकिन छत्तीसगढ़ में “बीजीआर” बन गई अवैध आय का जरिया | राज्य के कई आलाधिकारी और राजनेता सीबीआई की राडार पर |

0
10

हाल ही में NTPC के “बीजीआर” नामक कंपनी का दामन छोड़ने के बाद इस कंपनी के निर्देशकों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई ने अपनी जांच तेज कर दी है | सीबीआई ने NTPC के वित्त निर्देशक कुलमणि बिस्वाल और “बीजीआर”के निर्देशकों में से एक रोहित रेड्डी और उसके सहयोगी प्रभात कुमार के खिलाफ कई अहम् सबूत जुटाए है | गौरतलब है कि रिश्वतखोरी ,भ्रष्टाचार  और आपराधिक षड्यंत्र के तहत मामला दर्ज होने के बाद NTPC ने “बीजीआर” से दूरियां बना ली है | लेकिन छत्तीसगढ़ के “मड़वा पॉवर प्लांट” में अब भी यह कंपनी “बोगस बिलो” के भुगतान को लेकर पूरी तरह से सक्रिय है | इसके लिए उसे छत्तीसगढ़ मंत्रालय में पदस्थ कुछ अफसरों का जबरदस्त संरक्षण मिल रहा है | “बोगस बिलो” के भुगतान को लेकर सीएसपीडीसीएल  के कुछ अफसरों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है | यह भी सवाल उठ रहा है कि “मड़वा पॉवर प्लांट” को लगभग तीन हजार करोड़ से ज्यादा का चूना लगाने वाली “बीजीआर” को अब भी आखिर क्यों सरकारी संरक्षण मिल रहा है | यह भी जांच का विषय है कि आखिर इतनी बड़ी रकम किसके जेब में गई है | गौरतलब है कि “महालेखाकार” की ओर से जारी पिछले वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट में ” बीजीआर” को लेकर गंभीर टिप्पणी की गई थी | इसके अलावा तीन हजार करोड़ से ज्यादा के नुकसान की जिम्मेदारी तय करने को लेकर भी कहा गया था | बावजूद इसके राज्य में अंजाम दिए गए इतने बड़े भ्रष्टाचार को लेकर मौजूदा भूपेश बघेल सरकार जरा भी गंभीर नजर नहीं आ रही है | यह भी सवालों के घेरे में है |           

छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार पर रोकथाम लगाने के “सरकारी मंसूबे” बेकार साबित होते नजर आ रहे है | पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने वाली कांग्रेस भी अब इसी दलदल में समाते नजर आने लगी है | मामला जांजगीर स्थित राज्य सरकार के “मड़वा पॉवर प्लांट” में हो रहे भारी भ्रष्टाचार से जुड़ा है | लगातार घाटे में जा रहे इस पॉवर प्लांट से  बिजली नहीं बल्कि  कई सरकारी अफसरों और राजनैतिक दलों के लिए अवैध आय का उत्पादन हो रहा है | इसके लिए कोयला की नहीं बल्कि “बीजीआर” नामक कंपनी के “बोगस बिलो” की जबरदस्त खपत हो रही है | “मड़वा पॉवर प्लांट” से “बीजीआर” नामक यह कंपनी हर माह करोडो का “बोगस बिल” पेश कर अपने खातों में सरकारी रकम डलवा रही है | बताया जाता है कि “फर्जी बिलो” के भुगतान से मुहैया होने वाली सरकारी रकम की बंदरबाट प्रदेश के राजनेताओ और उनके दलों के अलावा कुछ नौकरशाहों के बीच हो रही है | जांच एजेंसियो को इसकी पुख्ता खबर है |

 हाल ही में “भ्रष्टाचार, बोगस बिलो के भुगतान और रिश्वत” लेने-देने के चलते NTPC ने “बीजीआर” माइनिंग एन्ड इंफ्रालिमिटेड के साथ छत्तीसगढ़ और झारखंड में अपनी कोयला खदानों के विकास और खनन का समझौता रद्द कर दिया था | इसके चलते छत्तीसगढ़ की “सरकारी तिजोरी” पर 1800 करोड़ के नुकसान की संभावना जताई जा रही है | NTPC ने चार जुलाई 2019 को छत्तीसगढ़ की “तलाईपाली” कोयला खान और झारखंड की “चट्टी बारिआतुर ”   कोयला खान के समझौतो को बाकायदा कारण बताकर समाप्त कर दिया था | NTPC की इस कार्रवाई के बाद उम्मीद की जा रही थी कि छत्तीसगढ़ सरकार भी इस कंपनी की कार्यप्रणाली और “बोगस बिलो” के भुगतान की जांच होगी | लेकिन यहाँ उल्टा हो रहा है | छत्तीसगढ़ के सचिवालय में बैठे कुछ जिम्मेदार अफसर “बीजीआर” के “बोगस बिलो” के भुगतान को लेकर “मड़वा पॉवर प्लांट” के अफसरों पर जमकर दबाव बना रहे है | “मड़वा पॉवर प्लांट” के अफसरों ने हफ्ते भर पहले  “बीजीआर” के चार अलग -अलग  करोडो के “बोगस बिलो” का भुगतान करने से इंकार कर दिया था | यह “बोगस बिल” अफसरों ने “बीजीआर” को लौटा दिए थे | लेकिन छत्तीसगढ़ मंत्रालय के कुछ अफसरो ने इन बिलो का भुगतान करने को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है | इसके चलते “बीजीआर” ने  दोबारा यह “बोगस बिल” “मड़वा पॉवर प्लांट “को सौप दिए है | 

  हाल ही में छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दौरान “मड़वा पॉवर प्लांट” से “बीजीआर” के करोडो के “बोगस बिलो” के भुगतान की खबर सुर्ख़ियों में रही थी | इस दौरान साफ हुआ था कि एक सरकारी अफसर के हस्तक्षेप के बाद चेन्नई से करोडो की रकम आरटीजीएस के जरिए रायपुर के विभिन्न बैंको में जमा हुई थी | यह रकम  “बीजीआर” के लिए पेटी कॉन्ट्रैक्ट करने वाले ठेकेदारों के बैंक एकाउंट में जमा कराई गई थी | इसके उपरांत यह रकम  एक नामीगिरामी “राजनैतिक दल” के कार्यकर्ताओ को सौपी गई थी | सूत्रों के मुताबिक “एक जांच एजेंसी” इस रकम के लेन-देन पर पूरी निगाह रखे हुए थी | बताया जाता है कि “बीजीआर” के बोगस बिलो के भुगतान को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार के कुछ जिम्मेदार अधिकारी अभी भी जांच एजेंसियों के राडार पर है | इस अवैध लेन-देन दौरान ही भारत सरकार के एक इनपुट के बाद “आयकर विभाग” ने छत्तीसगढ़ के आबकारी अमले की अवैध आय पर दबिश दी थी |  बताया जाता है कि इस दौरान रायपुर के शंकर नगर स्थित मकान में “आयकर विभाग” द्वारा जब्त की गई लाखो की रकम के श्रोत की जांच भी अंतिम चरणों में है | 

उधर जांजगीर-चांपा  जिले में स्थापित “मड़वा पॉवर प्लांट” की 500-500 मेगावॉट की दो युनिटो की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे है | “बीजीआर” के भ्रष्टाचार के कारण छत्तीसगढ़ सरकार की तिजोरी पर “तीन हजार करोड़” से ज्यादा की चपत लगी है  | इस प्रोजेक्ट की ऑडिट रिपोर्ट में इस  बात का खुलासा हुआ है कि “मड़वा पॉवर प्लांट”के निर्माण में भयंकर भ्रष्टाचार और लापरवाही बरती गई है |  इतनी बड़ी रकम के नुकसान की जिम्मेदारी तय करने के लिए मौजूदा कांग्रेस सरकार ने अभी तक कोई कड़े कदम नहीं उठाए है | इस परियोजना के क्रियान्वयन में “पॉवर फाइनेंस कॉरपरेशन” से 70 फीसदी कर्ज लेने के बजाए पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने 90 फीसदी कर्ज लिया था | और केवल 10 फीसदी रकम “स्वयं के श्रोत” से लगाईं थी |  बताया जाता है कि इस पॉवर प्लांट की लागत का एक बड़ा हिस्सा पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के प्रभावशील अफसरों और राजनेताओ की तिजोरी में चला गया था | उम्मीद की जा रही थी कि राज्य में  “कांग्रेस सरकार” के सत्ता में आने के बाद “मड़वा पॉवर प्लांट” से बिजली का उत्पादन होगा | लेकिन अभी भी यहाँ की चिमनियों से “भ्रष्टाचार का धुंआ”  उठ रहा है | उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार इस गंभीर मामले को लेकर जल्द वैधानिक कदम उठाएगी |