वेल्लूर. केरल के वेल्लूर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) ने मिक्स बूस्टर डोज के परीक्षण को पूरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण बोर्ड (सीडीएसओ) को सौंप दी है. सीडीएसओ के अलावा दूसरी सेंट्रल एजेंसी राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीजीआई) भी रिपोर्ट का मुल्यांकन कर रही है. अगर सबकुछ सही रहा तो सीएसओ मिक्स बूस्टर डोज देने की इजाजत दे सकता है. गौरतलब है कि पिछले साल सीएमसी वेल्लूर को सीडीएसओ ने मिक्स बूस्टर डोज के टेस्ट की अनुमति दी थी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीनियर वैक्सीन विशेषज्ञ गगनदीप कांग के नेतृत्व में मिक्स बूस्ट डोज के परिणाम का अध्ययन किया गया है. इस रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद ही सरकार मिक्स बुस्टर डोज देने का फैसला करेगी. इस अध्ययन में शामिल रहे प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. विंसले रोज का कहना है कि एनटीजीआई ने उनके अध्ययन के परिणामों के बारे में विचार कर रही है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.
सीएमसी वेल्लूर ने अपनी स्टडी में पाया कि कोवैक्सीन के शुरुआती दो डोज लेने के बाद अगर बूस्टर डोज के तौर पर कोविशिल्ड दिया जाता है, तो यह बेहतर रिजल्ट देता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मिक्स बूस्टर डोज से 6 से 10 गुना अधिक एंटीबॉडी का निर्माण होता है.
मिक्स बूस्टर डोज का मकसद
साथ ही वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में यह भी बताया है कि अगर शुरुआती दो डोज कोविशिल्ड और बूस्टर डोज के तौर कोवैक्सीन दिया जाता है, तो उसके परिणाम तुलनात्मक रूप से बेहतर नहीं है. दोनों ही स्टडी में 200-200 लोगों पर टेस्ट किए गए थे. सीएमसी वेल्लूर के अध्ययन का मकसद यह विश्लेषण करना था कि कोवैक्सीन या कोविशील्ड की शुरुआती डोज के बाद कोविशिल्ड या कोवैक्सीन की बुस्टर डोज देने का क्या प्रभाव पड़ता है.
ब्रिटेन में भी हुई थी स्टडी
इसी तरह का अध्ययन ब्रिटेन में भी किया गया है. रिसर्च में पाया गया कि मिक्स बूस्टर खुराक से शरीर में ज्यादा एंटीबॉडी का निर्माण हुआ और यह कोरोना से बचाव में ज्यादा कारगर है. लेंसेट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में किए गए अध्ययन में 2878 लोगों पर ट्रायल किया गया था इन लोगों को मिक्स डोज दी गई थी. इसके बाद उनमें ज्यादा एंटीबॉडी मिली.
