अब नहीं चलेगी मकान मालिकों की दादागिरी ,मोदी सरकार लाने जा रहा है नया कानून |

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मकान मालिक और किराएदार के झगड़े आपने भी सुने होंगे , अक्सर दोनों के बीच किच-किच होती ही रहती है | लेकिन इसे दूर करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार कानून लाने का फैसला किया है | मॉडल किराएदारी कानून का ड्राफ्ट जारी कर दिया गया है | इसमें ऐसे इंतजाम किए गए हैं, जिससे मकान या दुकान मालिक और किराएदार दोनों के हित सुरक्षित रहेंगे |

क्या फायदे होंगे मकान मालिक को


रेंट एग्रीमेंट के बाद भी अगर किराएदार मकान खाली नहीं करता तो मकान मालिक चार गुना ज्यादा किराया मांग सकेंगे | किराएदार अगर वक्त पर मकान या दुकान खाली नहीं करता तो मकान मालिक अगले दो महीने तक उससे दोगुना किराए की मांग कर सकेगा ,दो महीने बाद चार गुना किराया वसूलने का हक होगा | मकान मालिक अगर रेनोवेशन कराता है, तो वो किराएदार की सहमति से किराया बढ़ा सकेगा | किराएदार अगर मकान खाली कर देता है तो मकान मालिक सिक्योरिटी मनी से अपनी लेनदारी काट सकेगा | बिल्डिंग की देखभाल की जिम्मेदारी मकान मालिक के साथ किराएदार की भी होगी |  

क्या फायदा होगा किराएदार को


कोई मकान मालिक सिर्फ 2 महीने का एडवांस किराया ले सकेगा | रेंट एग्रीमेंट का टाइम खत्म होने से पहले किराएदार को नहीं निकाला जा सकेगा | मकान मालिक घर का मुआयना या रिपेयर कराने से 24 घंटे पहले लिखित सूचना देगा | किराएदार को निकालने की कार्रवाई तभी शुरू हो सकती है, जब उसने लगातार 2 महीने का किराया न दिया हो | किराए की अवधि के दौरान बीच में किराया नहीं बढ़ाया जा सकेगा | मकान मालिक को किराए में किसी तरह का बदलाव करने के लिए तीन महीने पहले नोटिस देना होगा | इसके आलावा कोई विवाद होने पर मकान मालिक किराएदार की बिजली और पानी जैसी जरूरी सुविधाएं बंद नहीं कर सकेंगे |

माना जा रहा है कि ये कानून मकान मालिकों का डर निकालने के लिए लाया जा रहा है. इस वक्त देश भर में एक करोड़ से ज्यादा मकान खाली पड़े हैं. इनके मकान मालिक सिर्फ इस वजह से प्रॉपर्टी किराए पर नहीं दे रहे कि कहीं उनकी प्रॉपर्टी हड़प न ली जाए. मोदी सरकार साल 2022 तक सभी को घर देने के लिए प्रतिबद्ध है. इस कानून के लागू हो जाने से मकान मालिक और किराएदार दोनों कानूनी पचड़े में फंसने से बचे रहेंगे. फिर भी विवाद हुआ तो क्या होगा? नए कानून के ड्राफ्ट के मुताबिक राज्यों में रेरा जैसी रेंट अथॉरिटी गठित की जाएंगी | रेंट अथॉरिटी के पास कुछ इस तरह के काम रहेंगे | प्रॉपर्टी को किराए पर लेने-देने वाले कानून का पालन कराना | किसी प्रॉपर्टी के किराए पर लेने-देने पर इनको सूचना देनी होगी | रेंट अथॉरिटी को मासिक किराया और किराए की अवधि की जानकारी दी जाएगी | विवाद के हालात में दोनों पार्टी इसी अथॉरिटी के पास जाएंगी | मकान मालिक और किराएदार रिपेयरिंग वगैरह की सूचना भी अथॉरिटी को देंगे | राज्य सरकारें रेंट कोर्ट और रेंट ट्रिब्यूनल भी बनेंगी | यहां गंभीर विवादों का निपटारा होगा |


ड्राफ्ट के मुताबिक सूबे की सरकारें अपनी मर्जी से ये कानून लागू कर सकेंगे. ये कानून पीछे की तारीखों से लागू नहीं होगा | इसका मतलब ये है कि बड़े शहरों के उन लाखों प्रॉपर्टी मालिकों को कोई फायदा नहीं मिलेगा, जो अपनी प्रॉपर्टी बेहद कम किराए पर उठाए हुए हैं | उन पर जो केस वगैरह चल रहे हैं वे चलते रहेंगे | माना जा रहा है कि इस मसौदे को अगस्त तक कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है | इसके बाद इसे संसद में पेश किया जा सकता है |