नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर भारत की तारीफ की है. मोदी सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के फैसले पर इमरान खान ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका के दबाव के बावजूद अपनी जनता को राहत देने के लिए रियायती दर पर रूस से तेल खरीदा. इमरान खान ने ट्वीट किया, ‘क्वाड का हिस्सा होने के बावजूद, भारत ने अमेरिकी दबाव को दरकिनार किया और जनता को राहत देने के लिए रियायती रूसी तेल खरीदा.’
उन्होंने भारतीय विदेश नीति की तारीफ की. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, ‘स्वतंत्र विदेश नीति की मदद से हमारी सरकार यही हासिल करने के लिए काम कर रही थी.’ उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार पर तंज कसते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘हमारी सरकार के लिए पाकिस्तान का हित सर्वोच्च था. लेकिन मीर जाफरों और मीर सादिकों ने पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के लिए विदेशी ताकतों के सामने सिर झुकाया, और अब बिना सिर वाले मुर्गे की तरह अर्थव्यवस्था को पूंछ में बांधकर इधर-उधर भाग रहे हैं.’
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने शनिवार को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला किया. इसके बाद पेट्रोल की कीमत में 9.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 7 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में ट्विटर पर जानकारी दी और लिया, ‘इससे (एक्साइज ड्यूटी में कटौती) भारत सरकार के राजस्व पर लगभग 1 लाख करोड़ रुपये सालाना का बोझ पड़ेगा.’ एक्साइज ड्यूटी कम होने से राजधानी दिल्ली में 22 मई को पेट्रोल की कीमत 95.91 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 89.67 रुपये प्रति लीटर रही.
अतीत में भी इमरान खान भारत की विदेश नीति की सराहना कर चुके हैं. उन्होंने गत 9 अप्रैल को पाकिस्तान की सत्ता से बेदखल होने के पहले, मार्च के आखिरी हफ्ते में इस्लामाबाद में एक रैली को संबोधित किया था. तब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने भारत को खुद्दार कौम बताया था. उन्होंने कहा था कि भारत अपनी फॉरेन पॉलिसी जनता के हितों को ध्यान में रखकर बनाता है, न कि किसी दूसरे देश के दबाव में आकर. इमरान खान ने कहा था कि दुनिया के किसी देश में इतनी हिम्मत नहीं, जो भारत को उसकी विदेश नीति पर ज्ञान दे सके.
आपको बता दें कि अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. रूस के साथ व्यापार करना बंद कर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूसी तेल के आयात में कटौती की घोषणा की. यूरोपीय देशों ने रूसी तेल और गैस पर अपनी निर्भरता कम करने का ऐलान किया. रूस ने भारत को कम दर पर कच्चे तेल के आयात की पेशकश की, जिसे मोदी सरकार ने स्वीकार कर लिया. अमेरिका ने इसके लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन मोदी सरकार रूस से तेल आयात के फैसले पर अडिग रही.
