छत्तीसगढ़: पूरे देश में होली के मौके पर लोग एक-दुसरे पर अबीर-गुलाल लगाकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के खड़का गांव के आदिवासी समाज के लोग मंदिर में पूजा अर्चना कर पलाश के फूलो से रंग तैयार कर एक दूसरे को रंग लगाते हैं. होली त्यौहार के मौके पर आदिवासी समाज पलाश फूलों के रंग से अपने देवी देवताओं के साथ होली खेलता है.
इस गांव के बुजुर्गो की माने तो बस्तर में आदिवासी समाज शुरू से प्रकृति की पूजा करते आये है. नए सीजन में कोई भी फसल की पैदावार हो उसे आदिवासी समाज के लोग अपने देवी देवताओं को सर्वप्रथम चढ़ाते हैं, फिर उसका उपयोग करते हैं. फागुन महीने में पलाश के फुल बस्तर की हरी भरी वादियों में आ जाते हैं और आदिवासी समाज इस पलाश के फुल का रंग निकाल कर ग्रामीण पहले अपने देवताओं को चढ़ाते हैं इसे जोगानी कहते हैं. ये परंपरा करीब 500 वर्षों से चली आ रही है. ठीक होली के समय ही गांव में देवी देवताओं को रंग चढ़ाने की ये परम्परा है