छत्तीसगढ़ में शराब के अवैध ठिकानों, सट्टा-जुओं के अड्डों में नही बल्कि पत्रकारों के घरों पर चलेगा बुलडोजर? नान घोटाले के मुख्य आरोपी सक्रीय, आज होने वाली कार्यवाही पर जनता की नजर

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रायपुर| छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े लगभग 36 हजार करोड़ के नान घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 25  फ़रवरी को सुनवाई होनी हैं लेकिन उससे पहले नान घोटाले के प्रभावशील आरोपियों ने उन पत्रकारों को निशाना बनाया हैं, जो इस बड़े भ्रष्टाचार की सच्चाईयों को उजागर कर रहें थे|

जानकारी के मुताबिक नान घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा के प्लान को अंजाम देने के लिए ईमानदार सरकारी अधिकारीयों को गैर-क़ानूनी कार्यवाही के लिए मजबूर किया जा रहा हैं| नाम ना छापने की शर्त में ये अफसर बता रहें हैं की नवा रायपुर में काबिज उन पत्रकारों को सबक सिखाया जायेगा, जो इस घोटाले की असलियत जाहिर कर रहें हैं| ऐसे पत्रकारों को प्रताड़ित करने के लिए राजनेताओं के साथ मिलकर घोटाले के मुख्य आरोपी अनुल टुटेजा ने अपने पद और प्रभाव का बेजा इस्तमाल अब भी जारी रखा हैं| उनकी कार्यप्रणाली को माननीय सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान में लेने की आवश्यकता हैं| ईडी और सीबीटीटी को भी यह तथ्य संज्ञान में लेना चाहिए की ‘नान घोटाले’ की कवरेज करने वाले पत्रकारों को सरकारी संरक्षण में किस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा हैं?

‘अनिल टुटेजा एंड कंपनी’ द्वारा नान घोटाले की ख़बरों को नजरअंदाज करने के लिए कुछ चुनिन्दा पत्रकारों पर जबरदस्त दबाव बनाया गया हैं| इसके लिए संभावित ‘पत्रकार सुरक्षा कानून’ को भी ताख में रख दिया गया हैं|

दरअसल छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाये जाने का वादा किया था| लेकिन अब उनकी ही राज में पत्रकारों को फर्जी मामलों में फ़साने और प्रताड़ित किए जाने की घटनाएँ आम हो गई हैं|

यह पहला मौका हैं जब राज्य में गैरकानूनी दाव-पेचों के जरिए पत्रकारों पर दबाव बनाने के लिए सरकारी अफसरों और राजनेताओं का एक समूह जोर-शोर से जुटा हुआ हैं| यह गुट पत्रकारों को प्रताड़ित करने के मामलों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संरक्षण का भी दावा करता हैं|

कांग्रेस सरकार के तीन साल के कार्यकाल में पत्रकारों पर अत्याचार के मामलों में तेजी आई हैं| खासतौर पर सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकारों और सरकारी अफसरों के कार्यप्रणाली पर खबरे प्रकाशित-प्रसारित करने वाले पत्रकारों को गिरफ्त में लेने के लिए सरेआम गैर-कानूनी हथकंडे अपनाये जा रहें हैं|

ताजा मामला नवा रायपुर में कुछ चुनिन्दा पत्रकारों के आवास पर बुलडोजर चलाया जाने का हैं| गंभीर तथ्य यह हैं की नवा रायपुर और उससे जुडी वीआईपी रोड पर गैर-कानूनी रूप से चल रहे शराब-जुए के अड्डों और होटल-रेस्टोरेंट पर वैधानिक कार्यवाही करने के बजाय सरकार की मंशा उन पत्रकारों को प्रताड़ित करने की हैं, जो इस इलाके में निवासरत हैं| जानकारी के मुताबिक इस इलाके में रहने वाले ऐसे पत्रकार सरकार के निशाने पर हैं जो सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और अधिकारीयों की गैर-कानूनी गतिविधियों को उजागर करने में जुटे थे|

जानकारी के मुताबिक गैर-कानूनी दाव-पेचों के जरिए ऐसे पत्रकारों को प्रताड़ित करने की योजना को अंजाम दिया जा रहा हैं, जो हकीकत बयां करने में जुटे थे| बताया जाता हैं की आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देश पर नवा रायपुर में एनआरडीए के अफसर पत्रकारों के घरों पर बुलडोजर चलाएंगे| इसके लिए कलेक्टर रायपुर के माध्यम से नगर निगम को सूचित किया गया हैं| सूत्रों द्वारा बताया गया हैं की आज सुबह जेसीबी और बुलडोजरों का जकिरा एनआरडीए को उपलब्ध कराया जा रहा हैं| अतिक्रमण हटाने के नाम पर पत्रकारों के घरों के सफाई की सुनियोजीत योजना एनआरडीए को सौपी गई हैं|

नवा रायपुर में एनआरडीए के गठन से कई साल पूर्व से ही हजारों लोग निवासरत हैं| यह इलाका ग्राम पंचायत के अधीन आता हैं, लेकिन यहाँ निवासरत लोगों को एनआरडीए के जरिए नोटिस दिया गया हैं की उनके घरों का नक्शा स्वीकृत नही कराया गया हैं| यही नही बगैर अनुमति प्राप्त ऐसे घरों को तोड़ने के लिए एनआरडीए ने अपनी कमर कस ली हैं| जबकि हकीकत यह हैं की प्रदेश में लोगो के घरों के नियमितीकरण और नक़्शे स्वीकृत कराने के लिए नगरीय निकाय अपनी योजनांए संचालित कर रहा हैं, लेकिन नवा रायपुर में जान-बुझकर इस योजना को लागु नही किया गया हैं| इसकी आड़ लेकर एनआरडीए के अफसर कई लोगों के घरों को तोड़ने के लिए दबाव बना रहें हैं| लोगो के मुताबिक नवा रायपुर के दर्जनों गाँव में लोगो के कच्चे-पक्के निर्माण हैं| ये लोग लम्बे अरसे से यहाँ काबिज हैं| यही नही ग्राम पंचायतों में भवन निर्माण अनुज्ञा और मकानों के नक़्शे स्वीकृत करने कोई प्रावधान नही हैं|

बताया जाता हैं की एनआरडीए की इस विवादित कार्यवाही को पीड़ितों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी| सुनवाई के दौरान एनआरडीए ने बगैर शक लोगो को दिए गए अपने नोटिस निरस्त करते हुए वापस ले लिए थे| लेकिन अब उन्ही नोटिसों को नए तिथि में जारी कर अदालत की भी अवमामना की जा रही हैं|

नवा रायपुर और वीआईपी रोड में कई होटल-रेस्टोरेंट बे-रोक-टोक संचालित हो रहें हैं| यहाँ अवैध शराब की बिक्री, हुक्का-बार और सट्टे-जुए के अड्डे भी संचालित हो रहें हैं| ऐसे ठिकानों पर वैधानिक कार्यवाही करने के बजाय लोगों के कच्चे-पक्के निर्माण तोड़ने के लिए एनआरडीए द्वारा की जा रही गैरे-कनुनी कार्यवाही चर्चा में हैं|

बताया जाता हैं की यह कार्यवाही इसलिए  की जा रही हैं क्योंकि नवा रायपुर में ऐसे पत्रकार भी बसते हैं जो हकीकत बयां कर रहें हैं| उन पत्रकारों की लेखनी पर विराम लगाने के लिए एनआरडीए के जरिए राजनेता अपनी स्वार्थ-सिद्धि करने में जुटे हैं |

जानकारी के मुताबिक सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण देने के मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के कुछ मंत्री सुर्ख़ियों में हैं| ऐसे मंत्रियों की कार्यप्रणाली को लेकर कुछ पत्रकारों ने हकीकत बयां की थी| इसके चलते उन मंत्रियों के निर्देश पर एनआरडीए और प्रशासन के वरिष्ठ अफसरों पर दबाव बनाया गया हैं की वे उन पत्रकारों के वैधानिक कच्चे-पक्के निर्माण को अवैधानिक करार देकर तोड़ दें|

यह भी बताया जा रहा हैं की ईमानदार अफसर इस तरह की गैर-कानूनी कार्यवाही करने से बचना चाहते हैं| लेकिन मंत्रियों के दबाव में वे घुटने टेकने पर विवश हैं| एक जानकारी के मुताबिक नवा रायपुर के ग्राम नकटी में कांग्रेस से जुड़े कुछ नेताओं और बिल्डरों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर अवैध प्लाटिंग की गई हैं|

ऐसे ठिकानों पर बुलडोजर-जेसीबी चलाए जाने के बजाय पत्रकारों के कच्चे-पक्के निर्माण को अतिक्रमण और अवैध बताये जाने के मामले से लोग हैरत में हैं| गौरतलब हैं की इस इलाके में सम्बंधित पत्रकार भूमिस्वामी की हैसियत से वर्षों से काबिज हैं, ऐसे में उनके खिलाफ की जा रही गैरकानूनी कवायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संभावित ‘पत्रकार सुरक्षा कानून’ की हकीकत बयां कर रहें हैं|