एक का नाम है मेल तो पड़ोसी का फीमेल, एक दूसरे के जोड़े माने जाते हैं, यहां इंसान नहीं बल्कि गांव हैं पार्टनर…

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जयपुर: हर साल 14 फरवरी के दिन को लोग प्यार का दिन मानते हैं. 14 फरवरी को दुनिया भर में वेलेंनटाइन डे मनाया जा जाता है. आपने कई अमर प्रेम कहानियां सुनी होंगी. इस दौरान हम आपको एक जगह के बारे में बताएंगे, जहां इंसान नहीं बल्कि कई गांव एक दूसरे के पार्टनर हैं. इन गांवों को जोड़ों के रूप में जाना जाता है. यानी अगर एक गांव का नाम स्त्रीलिंग है तो इसी नाम के साथ दूसरे गांव का नाम पुल्लिंग है.

जानकारी के मुताबिक, ये गांव राजस्थान के झालावाड़ा जिले में हैं. झालावाड़ जिला केवल संतरा उत्पादन के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि इस जिले के 44 गांवों की भी एक अलग पहचान हैं. ये 44 गांव जोड़ों के रूप में जाने जाते हैं. यहां के बुजुर्गों का कहना है कि प्राचीन काल में जब एक बड़ा गांव बसता था तो उसको पुल्लिंग के नाम से पहचाना जाता था. ऐसे में उसी गांव के पास कोई छोटा गांव और आबाद होता तो बड़े बुजुर्गों ने दोनों गांव के लोगों में आपसी सौहार्द और भाई चारा बनाने के लिए उसे स्त्रीलिंग के नाम से पहचान दी. 

स्नाकेतिक चित्र

राजस्थान के झालावाड़ जिले के गांव के नामों में यही सौहार्द देखने को मिलता है. जिले की 8 पंचायत समितियों में 610 गांव हैं. इनमें से 44 गांव को जोड़ों के रूप में पहचाना जाता है. जानते हैं इन गांवों के नाम. बड़बेला- बड़बेली,धानोदा- धनोदी,रलायता- रलायती,भीलवाड़ा- भीलवाड़ी, कनवाड़ा- कनवाड़ी,खेरखेड़ा- खेरखेड़ी,उचावदा- उचावदी,भूमाडा-  भूमाडी,देवर- देवरी,पथरिया- पथरी,बरखेड़ा- बरखेड़ी,चाडा- चीडी,हतोला- हतोली,अलोदा- अलोदी,बांसखेड़ा- बांसखेड़ी,चछलाव- चछलाई,सोयला- सोयली,सेमला- सेमली,दोबड़ा- दोबड़ी.