देश में इन 5 राज्यों की हॉट विधानसभा सीट पर लोगों की निगाहें, यहां के उम्मीदवारों की जीत-हार पर लग रहे बड़े बड़े दांव, सटोरियों ने फैलाया जाल, पुलिस और चुनाव आयोग एलर्ट पर..

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नई दिल्ली:- उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. पहले चरण वाली सीटों पर आज चुनावी प्रचार थम जाएगा. इन सीटों पर 10 फरवरी की सुबह से मतदान का दौर शुरू हो जाएगा. यूपी (403), उत्तराखंड (70), पंजाब (117), मणिपुर (60) और गोवा (40) की कुल 690 विधानसभा सीटों पर अगले चरण के वोटिंग को लेकर chunaav प्रचार जोरों पर है.इनमें कुछ सीटें काफी चर्चा में हैं, जहां पर जीत-हार का रिजल्ट पूरा देश जानना चाहेगा. इन सीटों का हाल यह है कि सटोरियों ने यहाँ डेरा डाल रखा है. उमीदवारों की जीत हार और वोटों के आंकड़े को लेकर रोजाना लाखों के दांव लग रहे है. यही नहीं चुनावी खर्च के लिए बड़े पैमाने पर नगद रकम भी मुमकिन ठिकानों तक पहुच रही है. हालाकि पुलिस और चुनाव आयोग की कड़ी चौकसी के चलते कई मौकों पर सटोरियों के अरमानों पर पानी भी फिर रहा है.

देश की इन हॉट सीटों में सबसे प्रमुख गोरखपुर सदर सीट है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में हॉट सीट गोरखपुर सदर में लाखों का दांव लग रहा है. इसकी वजह ये है कि इस सीट से योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) मुख्यमंत्री रहते हुए ताल ठोंक रहे हैं. यह क्षेत्र गोरखपुर की उस संसदीय सीट में आता है जहां से योगी पांच बार लगातार सांसद रह चुके हैं. इस सीट पर कई दशकों से गोरखनाथ पीठ-मंदिर का ही प्रभाव रहा है, लेकिन इतनी चर्चा में यह सीट कभी नहीं रही. इस सीट पर अबतक हुए 17 चुनावों में 10 बार जनसंघ, हिंदू महासभा और बीजेपी का परचम लहरा चुका है. योगी के खिलाफ सपा और बसपा दोनों तालमेल के साथ चुनौती दे रहे है. जबकि दलित और अन्य संगठन भी चुनावी गणित बिगाड़ने के लिए बीजेपी का सिरदर्द बने हुए है. बावजूद इसके योगी पूरी ताकत के साथ मुकाबला कर रहे है.

उधर करहल सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है.यूपी में मैनपुरी की करहल सीट पर भी पूरे देश की नजर है. इस सीट पर एक तरफ समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव हैं, तो दूसरी तरफ उनके शिष्य और बीजेपी नेता एसपी सिंह बघेल हैं. यानी कि मुलायम बेटे और शिष्य आमने सामने हैं. यादव बहुल होने के चलते करहल सीट को सपा का गढ़ माना जाता है. अखिलेश के लिए यह सबसे सुरक्षित सीट है लेकिन बघेल के मैदान में कूदने से चुनावी समीकरण जातिवाद पर टिक गया है. जीत हार को लेकर कास्ट फैक्टर हावी है. इस सीट पर भी पहले और दूसरे नम्बर पर वोटों के अंतर को लेकर सटोरिये बड़ा दांव लगा रहे है.

यही हाल पंजाब के भदौर और चमकौर साहिब सीट का है. पंजाब की भदौर और चमकौर सीट पर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी चुनाव लड़ रहे हैं. पहली बार मुख्यमंत्री बने कांग्रेस नेता चन्नी ने सितंबर में पंजाब में सीएम की कुर्सी संभाली थी, जब कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह से इस्तीफा ले लिया था. कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से विवाद के बाद अमरिंदर सिंह मुख्‍यमंत्री पद और कांग्रेस पार्टी दोनों ही छोड़ दी थी. दो दिन पहले ही कांग्रेस ने सिद्धू के बजाए चन्नी को इस chunaav में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है. लेकिन दो सीटों पर चुनाव लड़ने से चन्नी विरोधियों के निशाने पर हैं. दलील दी जा रही है कि हार के भय से वे एक सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते. दोनों ही सीट पर चन्नी को आप पार्टी और बीजेपी गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है. यहाँ भी सटोरियों ने जीत हार को लेकर अपना जाल फैला रखा है.

ऐसा ही नज़ारा पटियाला सीट पर भी दिखाई दे रहा है.पंजाब की पटियाला सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. लेकिन इस सीट पर सिटिंग विधायक अमरिंदर सिंह खुद की पार्टी बनाकर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. पटियाला पर कांग्रेस पार्टी ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ पूर्व मेयर विष्णु शर्मा को मैदान में उतारा है. इस सीट पर नवजोत सिंह सिद्धू काफी रूचि ले रहे है. मकसद साफ़ है, कैप्टन को यही पटखनी दी जाए. इस सीट पर रोज उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. आप पार्टी के मैदान में कूदने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. अमरिंदर अपनी साख बचाने में जुटे है तो विरोधी उन्हें चारो खाने चित्त करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे है. लिहाजा यहाँ सटोरियों की चल पडी है.

उधर अमृतसर ईस्ट भी हॉट सीट बनी हुई है.पंजाब की अमृतसर ईस्ट सीट से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ताल ठोक रहे हैं. शिरोमणी अकाली दल ने अपने बहनोई और पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया को यहाँ से मैदान में उतार कर सिद्धू की घेराबंदी कर दी है. सिद्धू को मात देने के लिए अमरिंदर सिंह ने भी चुनावी बिसात पर अपने मोहरे दौड़ा दिए है. ऐसे में सिद्धू की डगर कठिन हो गई है.वहीं बीजेपी की ओर से पूर्व IAS अधिकारी जगमोहन सिंह राजू चुनावी मैदान पर हैं. सिद्धू को हराने के लिए बीजेपी और कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी पूरा जोर लगा रही है. इस सीट पर भी सटोरिये सिद्धू पर लगे दांव को रोजाना कम-ज्यादा कर रहे हैं.

उत्तराखंड की खटीमा सीट पर राज्य के मुख्यमंत्री की साख दांव पर है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा विधा सभा सीट से कड़ी चुनौती मिल रही हैं. धामी वर्तमान में खटीमा से ही विधायक हैं और वे 2012 और 2017 में लगातार दो बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं. खटीमा उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है इसलिए वह खटीमा से ही चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ कांग्रेस ने कड़ी चुनौती पेश की है.

गोवा की पणजी सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प है.गोवा में बीजेपी के दिवंगत नेता मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर पणजी सीट से बीजेपी के ही खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. वे निर्दलीय लड़ रहे हैं. उत्पल पर्रिकर अपने पिता की पारंपरिक सीट पणजी से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट नकारे जाने की वजह से नाराज उत्पल पर्रिकर ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर इनडिपेंडेंट कैडिडेट के तौर पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया. ऐसे में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के लिए गोवा की यह सीट चुनौती भरी है. गोवा की पणजी सीट पर उत्पल पर्रिकर बनाम बीजेपी के साथ ही आप पार्टी भी चुनावी मैदान में जोरआजमाइश कर रही है. सटोरियों की निगाहें इस सीट पर लगातार बनी हुई है और हर दिन नए भाव खुल रहे है.

मणिपुर की कीसमथोंग सीट पर भी मुकाबला आमने सामने का है यह इंफाल वेस्ट में आती है. इस सीट पर भारतीय रिपब्लिक पार्टी (आठवले) की ओर से मणिपुरी फिल्म अभिनेता महेश्वर थोनोजम को उम्मीदवार बनाया है. साल 2017 विधानसभा चुनाव में नेशनल पीपुल्स पार्टी ने यहां से जीत हासिल की थी. इस सीट पर कांग्रेस की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है.