अच्छी खबर: पाठ्यक्रम में शामिल हुईं लता मंगेशकर,लता दीदी के बारे में पढ़ाई करेंगे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र,शैक्षणिक सत्र 2022-23 से संगीत एवं प्रदर्शन कला विभाग के छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जाने लगेगा,जानिए क्या होगा कोर्स…

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‘आनन्द शिल्पी’ लखनऊ ब्यूरो

प्रयागराज: स्वर कोकिला लता मंगेशकर अमर रहेंगी. दोराय नहीं की उनके गीत हर दौर में लोगों की जुबान पर रहेंगे। अपने संगीत के सफ़र में लता जी के गीत पिछले कई दशकों से लोगों के दिलोदिमाग में छाए रहे। हर पीढी ने उनके गीतों को सराहा। जाहिर है लता जी ऐसी शख्शियत थी।कहा जाता है कि ऐसी हस्तियों के आने का समय होता है फिर भी अमर हो जाती है। ऐसी ही हस्ती थी लता दीदी। अपने जन्म के बाद वह हमेशा हम सबके साथ रहती रहीं हैं। उनके नग्मों और जीवनशैली को अब पाठ्यक्रम में स्थान मिला है। संगीत के विद्यार्थी स्वर कोकिला और भारत रत्न लता मंगेशकर की जादुई आवाज से रूबरू होंगे।

लता जी का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। गोमंतक मराठा समुदाय के पंडित दीनानाथ मंगेशकर के यहां 28 सितंबर 1929 को जन्मी लता जी ने 5 वर्ष की उम्र से ही संगीत की शिक्षा प्रारम्भ कर दी थी। उम्र के आख़िरी पड़ाव में भी संगीत उनके भीतर बसा रहा। बताते है कि अस्पताल में भर्ती लता दीदी ने आख़िरी वक्त ईयरफोन मंगवाया और अपने गीतों को सुनती रहीं। उनका शरीर अब हम सबके बीच नहीं है। लेकिन उनके सुर और संगीत हमेशा हमारे साथ रहेंगे। खासकर संगीत के विद्यार्थियों के लिए वह आदर्श, मानक और गुरू के रूप में स्थापित रहेंगी।

इस दिशा में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जल्द ही यहां पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम शुरू होगा। संगीत के विद्यार्थी लता के जीवन और गायन के तकनीकी पहलुओं का बारीकी से अध्ययन कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति के तहत इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संगीत एवं प्रदर्शन कला विभाग पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यह पाठ्यक्रम स्नातक और परास्नातक को मिलाकर तैयार किया गया है।

इसके बाद संगीत के विद्यार्थी सीधे डाक्टरेट की उपाधि हासिल कर सकेंगे। इस पाठ्यक्रम में स्वर कोकिला लता मंगेशकर को विशेष रूप से पढ़ाया जाएगा। बताया जाता है कि विश्वविद्यालय के निर्देश पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पंडित प्रेम कुमार मलिक ने प्रस्ताव तैयार कर विभागस्तरीय कमेटी के पास भेजा।

कमेटी ने फ़ौरन प्रस्ताव को हरी झंडी भी दे दी। अब यह प्रस्ताव विश्वविद्यालय स्तर पर कमेटी के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। वहां से कमेटी विभाग को फिर से संपादन के लिए भेजेगी। ताकि, यदि कोई त्रुटि हो तो संशोधन किया जा सके। इसके बाद बोर्ड आफ गवर्निंग फिर एकेडमिक काउंसिल में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। यहां से मंजूरी मिलने के बाद यह प्रस्ताव कार्य परिषद में रखा जाएगा।

वहां सर्वसम्मति से मुहर लगने के बाद लता मंगेशकर को पाठ्यक्रम में शामिल करते हुए शैक्षणिक सत्र 2022-23 से संगीत एवं प्रदर्शन कला विभाग के छात्र-छात्राओं को उनके बारे में पढ़ाया जाने लगेगा। फिलहाल विभाग के शिक्षक लता मंगेशकर पर पाठ्यक्रम डिजाइन को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। विश्वविद्यालय की इस पहल से फिल्म जगत भी गदगद है।