नई दिल्ली:- गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ की झांकी दिल्ली के राजपथ से लेकर राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। प्रेस प्रिव्यू के दौरान झांकी की थीम और प्रयास की सराहना हुई। लेकिन इसके साथ ही गोधन योजना में भ्रष्टाचार और घोटालों के किस्से भी लोगों की जुबान पर रहे। प्रदेश के कई जिलों में गोबर खाद की खरीदी में जबरदस्त भ्रष्टाचार की शिकायतें फाइलों में कैद हो गई हैं। इस योजना में भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर विधानसभा में भी हंगामा हुआ था। बावजूद इसके शिकायतों की जांच नहीं हो पाई। गौरतलब है कि गाय गोबर और गांव की परिकल्पना को अस्तित्व में लाने के लिए आरएसएस ने देश भर में अभियान चलाया है। इस अभियान से ग्रामीण समृद्ध हो रहे है।
बीजेपी शासित राज्यों ने इस योजना को काफी पहले से लागू किया है। इसकी कामयाबी से प्रभावित होकर कांग्रेस शासित राज्य भी नए नए नामों से इस योजना का संचालन कर रहे है। जुलाई 2020 में गोधन न्याय योजना लागू कर राज्य सरकार ने शुरुआत में खूब वाहवाही बटोरी थी। लेकिन जल्द ही ये योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। प्रदेश के ज़्यादातर जिलों में इस योजना में हुए भ्रष्टाचार को लेकर आरटीआई के जरिए गोबर खरीदी बिक्री का ब्यौरा मांगा जा रहा है। लेकिन आरटीआई एक्टिविस्टो की मांगी गई जानकारी का जवाब देने में विभाग आना-कानी कर रहा है।
इस योजना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ का गोबर घोटाला बिहार के चारा घोटाले की तरह है।आने वाले वक्त में यह एक्सपोज़ होगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि, प्रदेश में आज भी किसान खाद और बीज के लिए परेशान हैं। सरकार 70 प्रतिशत खाद व्यापारियों को दे रही है जबकि सिर्फ 30 प्रतिशत खाद सोसायटी में पहुंच रही है। उन्होंने यह भी कहा कि, बीजेपी शासनकाल में बिजली और खाद के लिए किसानों को कभी परेशानी नहीं हुई। उधर आरटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता गोधन योजना को ईमानदारी से लागू करने की मांग कर रहे हैं।उनकी दलील है कि, इस योजना में भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए। योजना से सम्बंधित जानकारी समय पर आरटीआई एक्टिविस्ट को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
छत्तीसगढ़ का गोबर घोटाला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। जब प्रेस प्रिव्यू के दौरान गोधन की झांकी राजपथ से गुजरी तो बिलासपुर जिला पंचायत में हुए गोबर घोटाले की चर्चा भी शुरू हो गई। हालांकि इस मामले की जांच भी हुई थी। लेकिन घोटाले में लिप्त लोगों के खिलाफ कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं हुई। जिला पंचायत के तत्कालीन परियोजना अधिकारी रिमन सिंह ठाकुर ने इस मामले की जांच की थी। सूत्र बताते हैं कि, जिले के तीन समूहों ने बिना गोबर आपूर्ति किए भुगतान प्राप्त कर लिया था।
गोबर खरीदी केवल के कागजों पर दर्शाया गया था। जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ हेरिश एस से मामले की शिकायत की गई थी । पड़ताल पर सामने आया कि तीन स्वयं सहायता समूहों ने इस गोबर घोटाले को अंजाम दिया था। इन्हें 4 लाख 60हज़ार का भुगतान भी कर दिया गया था। अधिकारियों ने इन समूहों को तीन दिनों की मोहलत देकर आहरित राशि वापस करने के निर्देश दिए थे। इसमें देवरी खुर्द के स्वयं सहायता समूह के खाते में 1 लाख, बेलटुकड़ी के खाते में 60 हज़ार और नेवरा के स्वयं सहायता समूह में 3लाख रुपए का भुगतान किया गया था। सिर्फ बिलासपुर ही नहीं प्रदेश के ज़्यादातर जिलों में गोधन योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत आई है।
ग्रामीणों का मानना है कि इस योजना को ईमानदारी से लागू किया जाए तो ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदल जाएगी। आरटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता इस घोटाले के जांच की मांग कर रहे हैं।
गणतन्त्र दिवस पर राजपथ पर निकलने वाली राज्यों की झांकियों का शनिवार को राष्ट्रीय रंगशाला में प्रेस प्रीव्यू आयोजित किया गया। प्रेस प्रीव्यू के दौरान छत्तीसगढ़ की गाँव और गौठान पर आधारित झांकी को प्रदेश के लोक कलाकारों ने ककसाड़ नृत्य कर प्रदर्शित किया।
झांकी के अगले भाग में गाय के गोबर को इकट्ठा करके उन्हें विक्रय के लिए गौठानों के संग्रहण केंद्रों की ओर ले जाती ग्रामीण महिलाओं को दर्शाया गया है। ये महिलाएं पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में हैं।
उन्होंने हाथों से बने कपड़े और गहने पहन रखे हैं। इन्हीं में से एक महिला को गोबर से उत्पाद तैयार कर विक्रय के लिए बाजार ले जाते दिखाया गया है। उनके चारों ओर सजे फूलों के गमले गोठानों में साग-सब्जियों और फूलों की खेती के प्रतीक हैं। नीचे के ओर गोबर से बने दीयों की सजावट है।
झांकी के पिछले भाग में गौठानों को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित होते दिखाया गया है। नयी तकनीकों और मशीनों का उपयोग करके महिलाएं स्वयं की उद्यमिता का विकास कर रही हैं। वे गांवों में छोटे-छोटे उद्योग संचालित कर रही हैं। मध्य भाग में दिखाया गया है कि गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखकर किस तरह पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोजगार और आय में बढ़ोतरी के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।
सबसे आखिर में चित्रकारी करती हुई ग्रामीण महिला पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास की प्रतीक है। झांकी में भित्ती-चित्र शैली में विकसित हो रही जल प्रबंधन प्रणालियों, बढ़ती उत्पादकता और खुशहाल किसान को दिखाया गया है। इसी क्रम में गोबर से बनी वस्तुएं और गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करती स्व सहायता समूहों की महिलाओं को दिखाया गया है।