Sunday, September 22, 2024
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इधर नवा रायपुर के कर्ताधर्ता ब्लैकमनी ठिकाने लगाने में रहे व्यस्त,उधर बैंक ने कुर्की कर 2.659 हेक्टेयर जमीन पर किया कब्जा, प्रदेश से उड़ गई विकास की चिड़िया,तीन साल में सरकारी संस्थानों का बुरा हाल, कुर्की और दिवालियापन के हालात, नवा रायपुर में एनआरडीए की जमीन कुर्क,पूर्व सीएम ने ट्विट कर कहा- अब विधानसभा और मंत्रालय भी हो जाएगा गिरवी,317.79 करोड़ के  कर्ज के जाल में फंसा एनआरडीए, अफसर और मंत्री मस्त-जनता त्रस्त…

रायपुर:- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भले ही प्रदेश के विकास का दावा कर रहे हों,लेकिन उनका ये दावा कितना कारगर है, इसकी हकीकत बयान कर रहा है रायपुर का एनआरडीए। प्रदेश की राजधानी नवा रायपुर के विकास की जवाबदारी न्यू रायपुर डेवलपमेंट अथारटी की है। सरकार का संचालन इसी इलाके से होता है। मंत्रालय,सचिवालय हों या फिर विभागाध्यक्षों के मुख्यालय नवा रायपुर में ही स्थित हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि बैंको का कर्ज नहीं लौटाने के चलते एक राष्ट्रीयकृत बैंक ने एनआरडीए चेयरमैन की कुर्सी की कुर्की किए जाने की चेतावनी दी है। वहीं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 317.79 करोड़ रुपए की उधारी नहीं चुका पाने के कारण नया रायपुर डेवलपमेंट अथॉरटी की 2.659 हेक्टेयर जमीन पर प्रतीकात्मक कब्जा कर लिया है। जानकारों का कहना है कि यह तो एक मात्र बैंक का कर्ज है, अभी तो क़र्ज़ की वसूली के लिए एक दर्जन से ज्यादा बैंक कतार में हैं। इसमें हुडको का 500 करोड़ और अन्य बैंको की 1500 करोड़ से अधिक की धनराशि बकाया है। सूत्र बताते हैं कि नवा रायपुर के कर्ता-धर्ता ब्लैकमनी ठिकाने लगाने में व्यस्त रहे। उन्होंने एनआरडीए की सुध तक नहीं ली जब सम्पत्ति कुर्क हो गई तो बगले झांकते नजर आए। अब विपक्षी पूंछ रहे हैं, कहाँ उड़ गई विकास की चिड़िया ? दरअसल ऐसे हालात अन्य प्राधिकरणों के भी बन रहे है।

जानकारी के मुताबिक़ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मिड कॉर्पोरेट शाखा ने कुर्की के पहले अखबारों में एक विज्ञापन जारी किया था। इसमें बैंक ने नवा रायपुर विकास प्राधिकरण को 2 अगस्त 2021 को एक डिमांड नोटिस जारी किया था। इसके जरिए बैंक ने 317 करोड़ 79 लाख 62 हजार 793 रुपयों के साथ ब्यॉज और कानूनी शुल्क आदि देने की मांग हुई थी। कर्जदार एनआरडीए को यह राशि चुकाने के लिए बैंक ने 60 दिनों का समय दिया था। इस अवधि के भीतर प्राधिकरण ने वह रकम नहीं चुकाई। मियाद पूरा होने के तीन महीने बाद बैंक ने वसूली की कार्यवाही की है। इसके तहत 12 जनवरी को नवा रायपुर के कयाबांधा और बरोडा गांव की 2.659 हैक्टेयर जमीन को बैंक ने अपने कब्जे में ले लिया है। जानकारी के मुताबिक़ एनआरडीए की तर्ज़ पर राज्य सरकार भी भारी कर्ज के बोझ तले दबी हुई है। राज्य सरकार ने भी पिछले तीन साल में 51 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया है। अब सरकार पर ऋण भार अनुमानित राजस्व आय का 106% हो गया है। मतलब, जितनी आय संभावित है उससे कहीं अधिक कर्ज है। बजट 2021-22 के मुताबिक प्रदेश में 79 हजार 325 करोड़ रुपए की कुल राजस्व प्राप्तियां अनुमानित हैं। कर्ज की यह मात्रा छत्तीसगढ़ के सकल घरेलू उत्पाद का 22% होता है। पूर्ववर्ती सरकार भी 41 हजार करोड़ रुपए का कर्ज छोड़ा था।

आवास और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है, यह स्थिति क्यों बनी यह देखना होगा। उनके मुताबिक़ अफसर सरकार को रोज-रोज की रिपोर्ट नहीं देते ऐसे में इस हालात की जानकारी उन्हें नहीं है। उधर नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (NRDA) की बदहाली पर विपक्ष ने भूपेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने साकार को घेरा है. उन्होंने कहा- आज बैंक नवा रायपुर की संपत्तियों पर कब्जा ले रहा है। कल छत्तीसगढ़ महतारी भी गिरवी हो जाएगी। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने ट्वीट कर लिखा है, ये है गर्त में जाता कांग्रेस का “छत्तीसगढ़ मॉडल”। आज कर्ज न चुकाने पर बैंक नवा रायपुर की सरकारी संपत्तियों को कब्जे में ले रहा है। कल भूपेश बघेल सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन और कर्ज लो, घी पियो की आदत से विधानसभा, मंत्रालय, चौक-चौराहों के साथ छत्तीसगढ़ महतारी गिरवी हो जाएगी।

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