बड़ी खबर: छत्तीसगढ़ को भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने के लिए अनोखी पहल, भ्रष्ट अफसरों के प्रकरणों का ही खात्मा कर दिया ईओडब्ल्यू-एसीबी ने, ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी, चंद महीनों में भ्रष्टाचार के एक दर्जन,प्राथमिक जांच के 9 और शिकायतों के 112 इस तरह से कुल 133 मामलों का सफाया, देखें सूची…

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रायपुर:- छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने है। दोनों ही पार्टी अपने अपने कार्यकाल में एक दुसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने में पीछे नहीं है। लेकिन प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ सरकार का शिकंजा कितना कमजोर हो चूका है,इसकी बानगी सामने आई है। इसके साथ ही कांग्रेस का ‘अब होगा न्याय’ जैसा नारा नए अंदाज़ में सुर्ख़ियों में है। राज्य के एसीबी ईओडब्ल्यू में पदस्थ पूर्व अफसरों ने भ्रष्टाचार की कार्यप्रणाली से ओतप्रोत कई अफसरों को कठघरे में ला खड़ा किया था। उनके ठिकानों पर छापा मार कार्यवाही कर चल अचल सम्पत्ति का काला चिट्ठा खोज निकाला था। हालांकि बीजेपी सरकार की रवानगी के बाद सत्ता में आई कांग्रेस ने भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने की जो पहल शुरू की वो काबिले तारीफ़ बताई जा रही है। भ्रष्टाचार का खात्मा भी भ्रष्टाचार से हो सकता है, सरकार का यह प्रयोग चर्चा में है।

इस अनोखी योजना के तहत भ्रष्ट अफसरों के प्रकरणों को विधि-संगत अमली जामा पहनाने के बजाए उसका खात्मा ही कर दिया गया। इस योजना से लाभान्वित होने वाले अफसरों की सूची इन दिनों सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। इस सूची में दर्जन भर अफसरों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलो का खात्मा दर्शाया गया है। दिनांक 1-6-2020 से लेकर अब तक जिन अफसरों की शिकायतों और प्रारम्भिक जांच को नस्तीबद्ध कर दिया गया है उसका ब्यौरा इसमें दिया गया है। हालाँकि ‘न्यूज़ टूडे छत्तीसगढ़’ इस सूची के वैधानिकता की अधिकृत पुष्टी नहीं करता। देखे सूची

जानकारी के मुताबिक़ जिन अफसरों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलो का खात्मा किया गया है उनमे नरसिंह राठौर कार्पालन अभियंता नगर निगम रायपुर, एम प्रसाद सह कार्यपालन अभियंता पी डब्लू डी बलौदाबाजार, व्ही के भतपहरी तत्कालीन मुख्य अभियंता पी डब्लू डी रायपुर,शैलेन्द्र सिंहनाथ श्रीवास्तव मुख्य अभियंता प्रधानमन्त्री सडक निर्माण योजना,सुरेश कुमार पाण्डेय कार्यपालन अभियंता जल प्रबंध सम्भाग क्र 1 आकाशवाणी काली मंदिर रायपुर, राजेश कुमार चन्देल वनमंडल अधिकारी मरवाही बिलासपुर,देव नारायण वर्मा सहायक अभियंता पी डब्लू डी मंडल क्र 1 रायपुर,हिंचलाल शर्मा अनुविभागीय अधिकारी विद्युत एवं यांत्रिकी पी डब्लू डी बस्तर, जे एस जब्बल कार्यपालन अभियंता ग्रामीण सडक विकास अभिकरण बलौदाबाजार, बीआर कैवर्त क्लर्क कार्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कोटा बिलासपुर,मनीन्द्र धर दीवान उप सचिव जल संसाधन विभाग मंत्रालय रायपुर, एम एल पाण्डेय अपर संचालक समाज कल्याण संचालनालय रायपुर का नाम शामिल है। हालांकि जिन प्राथमिक जांच और शिकायतों का निपटारा किया गया उसका विस्तृत ब्योरा नहीं दिया गया है।

इनमे से कई अफसर ऐसे है जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अलावा आईपीसी की धरा 420 के तहत भी प्रकरण दर्ज़ किया गया था। सूची में शामिल ऐसे गणमान्य अफसरों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलो का एक ही झटके में खात्मा काबिले तारीफ़ बताया जा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि इन अफसरों के खिलाफ मौजूदा अधिकारियों को भ्रष्टाचार के कोई ठोस सबूत नहीं मिले थे। इसके चलते प्रकरणों के खात्मे के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। जाहिर है इस महकमे में पूर्व पदस्थ अफसरों ने उन अफसरों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज़ कर सुर्खियाँ बटोरी थी। हालंकि झूठे मामले दर्ज़ कर कागज़ी घोड़ा दौडाने वाले ऐसे अफसरों के खिलाफ कब वैधानिक कार्यवाही होगी,जनता को इसका इंतज़ार है।

प्रदेश में भ्रष्टाचार के खात्मे को लेकर चल रही यह योजना ‘छत्तीसगढ़ माडल’ का एक नमूना मात्र है। जानकार बताते हैं कि, भ्रष्टाचार एक सामाजिक और आपराधिक बुराई है। इस पर लगाम लगाने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार कृत संकल्पित है। भ्रष्टाचार के मामलों से सरकार के दामन में लग रहे दाग के चलते इन प्रकरणों का खात्मा जरूरी बताया जा रहा है। यह भी दलील दी जा रही है कि जब ना तो भ्रष्ट अफसर होंगे और ना ही उनके प्रकरण तो सरकार के खिलाफ उँगलियाँ उठाने का मौक़ा आखिर विपक्ष को कैसे मिलेगा ? वैसे भी ऐसे अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े मामले बीजेपी शासन काल में पंजीबद्ध किये गए थे। जब बीजेपी की सरकार चली गई,उनकी जी हुजुरी करने वाले अफसर चले गए तो भ्रष्टाचार के आरोपियों का आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो से क्या लेना-देना ? उनके प्रकरणों का खात्मा भी ज़रूरी है।

फिलहाल भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार का फूंका गया यह बिगुल शहरो से लेकर गांव कस्बो तक सुनाई दे रहा है। दरअसल भ्रष्टाचार के जिन मामलो में यह अफसर धरे गए थे, उनके कंधो पर प्रदेश के चौतरफा विकास की जिम्मेदारी डाली गई थी। इनके बेहतरीन कार्यों से प्रभावित होकर ही ईओडब्ल्यू एसीबी के तत्कालीन अफसरों ने उनके ठिकानों पर दबिश दी थी।ईमानदार छवि के ऐसे अफसरों के खिलाफ दर्ज़ भ्रष्टाचार के मामले कितने भ्रष्ट तरीके से निपटाए गए इसका खुलासा तो जांच के बाद ही होगा। फिलहाल तो कांग्रेस का नारा ‘अब होगा न्याय’ इसी तर्ज़ पर जनता को न्याय मुहैया करा रहा है।