8 महीने में 8 करोड़ का खर्च फिर भी चली गई जान, कोरोना का अजीबो गरीब कहर, जमीन जायजाद बिक गई बावजूद इसके मर्ज नहीं, चल बसा मरीज़

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रीवा:- कोरोना हो या फिर ओमिक्रान का संक्रमण, बच कर रहिए। ऐसा मामला भी सामने आया है जिसमे इलाज़ में करोड़ो खर्च हो गए,मरीज़ चला गया लेकिन मर्ज़ बना रहा। घटना मध्य प्रदेश के रीवा की है। यहाँ एक परिवार ने कोरोना के इलाज में 8 महीने में खर्च किए 8 करोड़ रुपये, इलाज़ के लिए इस शख्श की 50 एकड़ जमीन भी बिक गई लेकिन परिजन उसकी जान नहीं बचा पाए। जानकारी के मुताबिक़ इस परिवार के हर दिन इलाज़ पर तीन लाख रुपये खर्च हो रहे थे। लंदन के डॉक्टर मरीज़ की कर रहे थे मॉनिटरिंग। स्थानीय डाक्टर भी इलाज़ में जुटे थे। मरीज़ का नाम धर्मजय सिंह बताया जा रहा है। अस्पताल में एडमिट होने के बाद धर्मजय सिंह की हालत लगातार खराब होती जा रही थी। 8 महीने तक उनका इलाज चला और इस दौरान उन्हें एक्मो मशीन पर रखा गया था। जब वेंटिलेटर भी फेल हो जाता है, तब मरीज को एक्मो मशीन पर रखा जाता है। इस मशीन से मरीज का खून बाहर निकालकर ऑक्सीजेशन किया जाता है और फिर वह खून दोबारा शरीर के अंदर भेजा जाता है। बताया जाता है कि, कोरोना संक्रमण से इस मरीज़ के कई महत्वपूर्ण अंग खराब होने लगे थे। मल्टी आर्गन फेलियर की स्थिति भी निर्मित हो गई थी।

रीवा के मऊगंज क्षेत्र के रकरी गांव के रहने वाले धर्मजय सिंह (50) का पहली बार 30 अप्रैल 2021 को सैंपल लिया गया था । 2 मई को मिली रिपोर्ट में वे कोरोना संक्रमित मिले थे। भाई प्रदीप सिंह ने बताया कि एक सप्ताह पहले अचानक धर्मजय का ब्लड प्रेशर कम को गया था। डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में भर्ती कर दिया। यहां उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया, तो वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। शुरुआत में उन्हें रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत में सुधार न होने पर 18 मई को एयर एम्बुलेंस से चेन्नई ले जाया गया। तब से वहीं भर्ती थे। जानकारी के मुताबिक एअर एम्बुलेंस से किसान धर्मजय सिंह का शव गुरूवार शाम को रीवा पहुचेगा। शुक्रवार को उनके गृहग्राम मऊगंज में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

बताया जाता है कि, चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती रहे धर्मजय सिंह के फेफड़े 100% संक्रमित हो गए थे। हालांकि, डाक्टरों की मेहनत रंग लाइ और वे चार दिन बाद कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गए थे। फेफड़ों में संक्रमण के कारण एक्मो मशीन के माध्यम से उन्हें नई जिंदगी देने की कोशिश की जा रही थी।धर्मजय के इलाज के लिए सरकार की ओर से चार लाख रुपये की मदद भी मिली, लेकिन उनके इलाज का हर दिन का खर्च एक से तीन लाख का था। धर्मजय सिंह के बड़े भाई प्रदीप सिंह के मुताबिक, उनके इलाज में करीब 8 करोड़ रुपये खर्च हो गए। इलाज़ के बेकाबू खर्च और भाई की जान बचाने के लिए उन्होंने करीब 50 एकड़ जमीन भी बेच डाली। लेकिन होनी के आगे हार गए।