सुर्खा पर छाया संकट तो बाजार में आ गए छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के अमरूद

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प्रयागराज। अमरूद के शौकीनों को इस बार मायूस होना पड़ेगा। उन्‍हें प्रयागराज का प्रसिद्ध सुर्खा अमरूद का स्‍वाद कम ही मिल पाएगा। मौसम में बदलाव और बीमारियों के चलते इस बार सुर्खा अमरूद का उत्पादन कम हुआ है। ऐसे में इसकी भरपाई करने के लिए बाजार में छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से अमरूद आ गए हैं। हालांकि सुर्खा के मुकाबले स्वाद में ये कमतर हैं लेकिन उसकी कमी के चलते इन अमरूदों की बिक्री हो रही है। बाजार में यह अमरूद 50 से 80 रुपये किलो बिक रहा है। जबकि सुर्खा का रेट करीब सौ रुपये किलो है।

प्रयागराज के सुर्खा अमरूद की दुनियाभर में पहचान

संगमनगरी के सुर्खा अमरूद की दुनियाभर में अलग पहचान है। अपने रंग, मिठास और सुगंध के मामले में यह सेब को टक्कर देता है। ऐसा अमरूद प्रयागराज और आसपास की जलवायु में ही पैदा होता है। हालांकि पिछले दो वर्षों से इसका उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है। इसके कई कारण हैं, लेकिन मुख्य कारण बारिश के बाद आई बीमारी बताई जा रही है। उस बीमारी पर समय रहते नियंत्रण न हुआ और सुर्खा का उत्पादन कम हो गया है।

सुर्खा के साथ सफेदा का उत्‍पादन भी कम

बीमारी के चलते केवल सुर्खा ही नहीं, सफेदा और अन्य प्रजाति के अमरूद का भी उत्पादन कम हुआ है। अमरूद के गढ़ संगम नगरी में उत्पादन कम हुआ तो यहां पर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से अमरूद आ गया है। बाजार में मिलने वाला हरा और बड़े साइज का अमरूद छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र का है।

दूसरे शहरों से अमरूद मंगाकर बेच रहे व्‍यापारी

फल व्यापारी अनिल कुशवाहा ने बताया कि पहले यहां से देश भर में ही नहीं विदेशों में भी अमरूद जाता था लेकिन अब बहुत कम जा रहा है। यहां की मांग को देखते हुए दूसरे शहरों से अमरूद मंगवाकर बेच रहे हैैं। दूसरे शहरों और राज्यों से आने वाले अमरूद में वह स्वाद नहीं है, जो सुर्खा में है। संगमनगरी का सुर्खा अमरूद इससे महंगा ही बिकता है।