नई दिल्ली / केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपने कामकाज को लेकर अक्सर चर्चा में बने रहते है | इस बार उन्होंने केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग संबंधी विकास कार्यों को लेकर टालमटोल रवैये अपनाने वाले सरकारी अफसरों पर शिंकजा कसे जाने को लेकर राज्य सरकारों को नसीहत दी है | मामला मध्यप्रदेश का है | लेकिन लेटलतीफी को लेकर हाल कई राज्यों का है | इसके चलते विकास कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहे है | मध्यप्रदेश के मामले का रुख करने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सलाह दी है | उन्होंने कहा कि विकास कार्यों में अधिकारियों के टालमटोल रवैये से निपटने के लिए अब कड़ाई बरतनी जरुरी है |
गडकरी ने शिवराज सरकार को सलाह दी कि जो तय समय में प्रोजेक्ट को अप्रूव नहीं करते हैं, उनको सेवानिवृत्त कर दिया जाए ताकि तय समय पर काम पूरा किया जा सके। नितिन गडकरी ने कहा कि हमने अपने मंत्रालय में यह व्यवस्था की है कि यदि कोई प्रोजेक्ट तीन माह में अप्रूव नहीं होता, तो जिस अधिकारी की वजह से देरी हुई होती है, उसकी मेज पर नारियल देकर सेवानिवृत्ति का पत्र सौंप दिया जाता है।
मध्यप्रदेश के केंद्रीय सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा सड़कों के विकास को लेकर गडकरी से मुलाकात कर रहे थे | इस दौरान प्रदेश के प्रोजेक्ट का हाल चाल जानकर वे काफी आहत हुए | गडकरी ने कहा कि मध्यप्रदेश में प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए एक माह का समय रखें। तभी काम होंगे। गडकरी ने स्टेट हैंगर पर एमएसएमई क्षेत्र के कुछ उद्योगपतियों व संगठन के लोगों से भी बात की। इस दौरान, प्रोजेक्ट के अटकने की शिकायत गोविंदपुरा इंजीनियरिंग क्लस्टर के डायरेक्टर एसके पाटिल ने की थी।
गडकरी ने पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव से भी कहा कि मध्यप्रदेश सरकार यदि जमीनों का अधिग्रहण करके और वनविभाग से क्लीयरेंस लेकर दे दे, तो नेशनल हाइवे के 50 हजार करोड़ रुपए के काम मध्यप्रदेश में फ़ौरन शुरू कर सकता हूं। उन्होंने दो टूक कहा कि सरकार क्या फोकट में तनख्वाह देने के लिए है | मध्यप्रदेश की सड़कों का हाल जानकर गडकरी सरकारी अधिकारियों पर भड़क गए थे। अधिकारियों द्वारा काम न करने की शैली पर उन्हें वेतन की याद दिलाते हुए गडकरी ने उदाहरण दिया कि ”हम गाय और भैंस घर पर पालते हैं, वो ज्यादा दूध दें, इसलिए उनको अच्छी खुराक देते हैं और खुराक देकर भी दूध ही न मिले, तो ऐसे जानवरों का उपयोग ही क्या है? अधिक अधिकारियों की आवश्यकता पर सवाल करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि क्या सरकार इसलिए है कि हम लोगों को फोकट में तनख्वाह दें, इतने अफसरों की, इतने निवेश की जरूरत क्या है?