राहुल की ताजपोशी से पहले इस रिपोर्ट ने कांग्रेस के कर्णधारो को सोचने पर किया मजबूर, चार साल में कांग्रेस के 170 विधायकों ने पार्टी छोड़कर थामा दूसरों दलों का दामन, BJP के डेढ़ दर्जन विधायकों ने भी पार्टी से किया किनारा , पांच राज्यों में चुनाव से पहले दोनों दलों की नेतृत्व क्षमता भी मतदाताओं की कसौटी पर, पढ़े तथ्यात्मक खबर

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नई दिल्ली / कांग्रेस में करीब दो माह बाद पार्टी की बागडोर एक बार फिर राहुल गांधी के हाथों में सौपने की तैयारी जोरों पर है | इस बीच सत्ताधारी दल बीजेपी की ओर से पार्टी को नित् नई चुनौती मिल रही है | पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर भी मतदाताओं की निगाहें लगी हुई है | कांग्रेस का प्रदर्शन काफी हद तक राहुल गांधी के दम खम पर निर्भर बताया जा रहा है | ऐसे समय बतौर पार्टी अध्यक्ष उनकी दूसरी पारी कितनी कामयाब रहेगी इसका आंकलन भी अभी से किया जा रहा है | इस बीच एक रिपोर्ट ने कांग्रेस के कर्णधारों की नींद उड़ा दी है | इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद उनकी निग़ाहें कभी कांग्रेस के राजकुमार की कार्यप्रणाली पर टिक जाती है , तो कभी उनकी ताजपोशी को लेकर उठ रहे विवादों पर |

दरअसल चुनावी एवं राजनीतिक सुधारों की पैराकार संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिकट रिफॉर्म्स’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। एडीआर की इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016-2020 के दौरान हुए चुनावों के समय कांग्रेस के 170 विधायक दूसरे दलों में शामिल हो गए जबकि भाजपा के सिर्फ 18 विधायकों ने दूसरी पार्टियों का दामन थामा है । यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन्ही वर्षो में राहुल गांधी के हाथों में कांग्रेस की कमान थी | अब उन्हें दोबारा कमान सौंपने की तैयारी भी शुरू हो गई है |

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एडीआर की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2016-2020 के दौरान पाला बदलकर फिर से चुनावी मैदान में उतरने वाले 405 विधायकों में से 182 भाजपा में शामिल हुए थे | जबकि 28 विधायक कांग्रेस और 25 विधायक तेलंगाना राष्ट्र समिति का हिस्सा बने। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पांच लोकसभा सदस्य भाजपा को छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हुए तो 2016-2020 के दौरान कांग्रेस के सात राज्यसभा सदस्यों ने दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया |

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एडीआर की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-2020 में हुए चुनावों के दौरान कांग्रेस के 170 विधायक दूसरे दलों में शामिल हो गए तो इसी अवधि में भाजपा के सिर्फ 18 विधायकों ने दूसरी पार्टियों का रुख किया था | एडीआर ने कहा, ‘यह गौर करने वाली बात है कि मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में सरकार का बनना-बिगड़ना विधायकों का पाला बदलने की बुनियाद पर हुआ।’

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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिकट रिफॉर्म्स की इस रिपोर्ट के अनुसार, 2016-2020 के दौरान पार्टी बदलकर राज्यसभा चुनाव फिर से लड़ने वाले 16 राज्यसभा सदस्यों में से 10 भाजपा में शामिल हुए। फ़िलहाल यह रिपोर्ट राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है | एक ओर जहां कांग्रेस में जबरदस्त बिखराव देखा जा रहा है , वही उसकी तुलना में बीजेपी में संगठन में कसावट के चलते बिखराव की स्थिति बेहद कम आंकी जा रही है | इस बीच पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में भी कांग्रेस के प्रदर्शन पर आम लोगों के साथ साथ राजनैतिक पंडितों की निगाहें भी लगी हुई है |