बिलासपुर / दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई नाबालिग ने गर्भपात कराने की अनुमति की मांग को लेकर हाई कोर्ट की शरण ली है। कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सिम्स के डीन को विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम से पीड़ित की जांच कर शीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। साथ ही बिलासपुर कलेक्टर को पीड़िता की सुरक्षा व रहने-खाने का इंतजाम कराने कहा है।
बेमेतरा जिले की रहने वाली नाबालिग के साथ गांव के एक युवक ने दुष्कर्म किया। इस बीच नाबालिग बीमार हो गई। इस पर स्वजनों ने उसकी जांच कराई, तब पता चला कि नाबालिग गर्भवती है।
मामला सामने आने पर पीड़िता गर्भपात कराने के लिए भटकने लगी। लेकिन चिकित्सकों ने इस मामले में हाथ खड़ा कर दिया। तब परेशान होकर पीड़िता हाई कोर्ट पहुंची। इस पर अधिवक्ता प्रतीक शर्मा, रजनीश पांडेय, प्रकृति जैन, नीलेश भानुशाली ने हाई कोर्ट में एक्सवाईजेड के नाम से याचिका लगाई। इसमें बताया गया है कि टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी अधिनियम की धारा 3 व नियम 9 के अनुरूप दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात कराने का अधिकार दिया गया है। साथ ही पूर्व में भी हाई कोर्ट ने इस तरह के मामलों में विस्तृत आदेश जारी किया है, जिसका उल्लेख किया गया है।
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ऐसे प्रकरणों में मेडिकल रिपोर्ट, पीड़िता की सहमति और मामले की परिस्थितियां व पीड़िता के संपूर्ण हित को ध्यान में रखकर हाई कोर्ट द्वारा आदेश पारित किया जाता है। इस मामले को जस्टिस संजय के अग्रवाल ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने सिम्स के डीन को पीड़िता की विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित कर स्वास्थ्य जांच कराने व अविलंब रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को निर्धारित की गई है |