देहरादून / उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है | उत्तराखंड में राजनीतिक घटनाक्रम पिछले कुछ दिनों से तेज था | त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्यपाल बेबी रानी मोर्या से मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद देहरादून लौट आए थे | इसके साथ ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाओं ने और जोर पकड़ लिया था |
सीएम रावत के खिलाफ कई विधायकों ने अपनी नाराजगी जताते हुए नेतृत्व को आगाह किया था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने भाजपा उपाध्यक्ष रमन सिंह और पार्टी महासचिव दुष्यंत सिंह गौतम को पर्यवेक्षक बनाकर देहरादून भेजा था. इसके बाद सोमवार को दिल्ली में पार्टी हाईकमान की बैठक हुई थी |
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रावत के इस्तीफे के बाद अब पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती चुनावों के मद्देनजर एक ऐसा चेहरा देने की होगी, जो विधानसभा चुनाव में पार्टी को मजबूत वापसी दिला सके। इस दृष्टि से त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी धन सिंह रावत को मौका मिल सकता है। वे एक मंत्री के तौर पर भी काफी सक्रिय और अनुभवी हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री भी उनके नाम पर सहमत हो सकते हैं। पार्टी विधायक दल की कल सुबह 10 बजे बैठक बुलाई गई है। धन सिंह रावत वर्तमान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री हैं। धन सिंह को राजधानी देहरादून लाने के लिए सरकारी हेलिकॉप्टर भी भेजा गया था।
हालांकि मुख्यमंत्री बनने की लालसा रखने वाले सतपाल महाराज भी इस दौड़ में बताए जा रहे हैं। उत्तराखंड के एक वर्ग पर उनकी पकड़ भी मजबूत बताई जाती है। लेकिन उनकी कांग्रेसी पृष्ठभूमि उनकी राह में बाधा बन सकती है। जबकि अनिल बलूनी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का विश्वास प्राप्त है, लेकिन पार्टी दिल्ली में उनकी बड़ी भूमिका देखती है। इसके बावजूद अभी वो भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्यपाल को इस्तीफा सौंपकर सीधे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंचे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं लंबे समय से राजनीति में काम कर रहा हूं। मेरे जीवन का यह स्वर्णिम अवसर मुझे दिया था।
छोटे से गांव में जन्म लिया, पिताजी पूर्व सैनिक थे। कभी कल्पना भी नहीं की थी कि पार्टी मुझे इतना बड़ा सम्मान देगी। भाजपा में ही यह संभव था।छोटे से गांव के कार्यकर्ता को इतना बड़ा सम्मान दिया। 4 साल मुझे सेवा करने का मौका दिया। पार्टी ने विचार किया और सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए। 9 दिन बाकी हैं चार साल पूरे होने में। मैं प्रदेशवासियों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। 4 साल का मौका पार्टी नहीं देती तो महिलाओं और युवाओं के लिए योजनाएं मैं नहीं ला सकता था। जो भी जिम्मेदारी लेगा उन्हें मेरी बहुत शुभकामनाएं हैं।