छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में पांच साल पहले रिटायर्ड हो चूके मुख्य सम्पदा अधिकारी सी.एस. बाजवा की संविदा नियुक्ति पूरवर्ती बीजेपी सरकार के शासनकाल की तर्ज पर मौजूदा कांग्रेस सरकार में भी बढाए जाने की कवायत तेज हो गयी है | इसके लिए लेन देन का दौर जारी है | दो साल के लिए संविदा नियुक्ति की दर भी तय कर दी गयी है, सिर्फ मंत्री जी से अप्रूवल लेना बाकी है | सी.एस. बाजवा की लगातार संविदा नियुक्ति बीजेपी शासन काल में भी लेन देन पर निर्भर थी | बीजेपी सरकार की रवानगी के बाद अब सी.एस. बाजवा का कार्यकाल भी इसी माह 30 जून 2019 को समाप्त हो रहा है | बताया जाता है कि रिटायर्ड मुख्य सम्पदा अधिकारी सी.एस. बाजवा पर भ्रष्टाचार के एक से बढ़ कर एक आरोप है | इनकी कार्य प्रणाली ठीक उसी तरह की है जैसे की आबकारी विभाग में सालो संविदा में रहे समुन्दर सिंह की | फर्क इतना है कि समुन्दर सिंह के खिलाफ EOW ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित किये जाने का मामला दर्ज कर उनकी पोल खोल दी और तो और इस भ्रष्ट अफसर के कई ठिकानों पर दबिश भी दी | लेकिन इस तरह की कार्यवाही बाजवा के खिलाफ होना अभी लंबित है | जबकि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और हाऊसिंग बोर्ड को करोडो का चूना लगाने के कई मामले विचाराधीन है, तो कई जांच रिपोर्ट फाइलों में कैद होकर रह गयी है |
एक जानकारी के मुताबिक सी.एस. बाजवा ने अपनी पत्नी आर.के. बाजवा के नाम से रायपुर के सद्दू इलाके की आलिशान लोकेशन पर 50 लाख के मकान को मात्र 35 लाख में खुद फिक्स कर दिया था | जबकि उन्हें आवंटित HIG D – 39 के इर्द गिर्द के सभी मकानों की कीमत 50 लाख के लगभग तय कर हाऊसिंग बोर्ड ने तमाम ग्राहकों को बेचा था | दिलचस्प बात यह है कि सम्पदा अधिकारी की कुर्सी पर बैठ कर स्वयं की पत्नी के नाम स्वीकृत मकान का फिक्सेशन पति सी.एस. बाजवा ने खुद ब खुद तय कर अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग ही नहीं किया बल्कि एक ही झटके में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को 15 लाख का चूना भी लगा दिया था | इस आवंटन को रद्द कर उनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही किये जाने की प्रक्रिया अभी तक लंबित है | बताया जाता है कि बाजवा के इस मकान के आस पास हाऊसिंग बोर्ड ने अन्य जो मकान बनाये है उनका क्षेत्रफल 9500 रूपये प्रति स्कवेयर मीटर की दर से स्वीकृत किया गया है | जबकि उनकी पत्नी श्रीमती आर के बाजवा को वही क्षेत्रफल का मकान मात्र 1700 रूपये स्कवेयर मीटर की दर पर स्वीकृत कर आवंटित किया गया | चौंकाने वाली बात यह है कि हाऊसिंग बोर्ड के जब सारे मकान एक ही स्थान पर है और सभी का क्षेत्रफल एक समान ही है, तो कीमत में इतना अंतर् क्यों ? पुष्ट जानकारी के मुताबिक सीएस बाजवा ने अपनी पत्नी के नाम पर जो मकान क्रय किया है , उसकी दर उन्होंने खुद तय कर उसे कम कर दिया | जबकि शेष विक्रेताओं को कलेक्टर गाइड लाइन के मुताबिक दर तय कर यह मकान बेचे गए |
इस संबंध में ” न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ” ने पक्ष लेने के लिए छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की कमिश्नर श्रीमती शम्मी आबिदी से संपर्क करने का प्रयास किया | इस सम्बन्ध में उन्हें संदेश भी भेजा गया | इसके अलावा गृह निर्माण मंडल के चीफ इस्टेट ऑफिसर सी.एस. बाजवा को भी फोन कर संपर्क किया गया , लेकिन दोनों अधिकारियों ने खबर लिखे जाने तक ना तो फोन का कोई जवाब दिया और ना ही भेजे गए संदेश का कोई उत्तर दिया है | जाहिर है, मामला गंभीर नजर आ रहा है |
