सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर जताई गहरी नराजगी, 5 महीने के भीतर सीबीआई और ईडी के दफ्तरों में सीसीटीवी लगाने के दिये आदेश

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दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए केंद्रीय जांच एजेंसियों सीबीआई, एनआईए और ईडी के दफ्तरों में अब तक सीसीटीवी कैमरे नहीं लगने पर गहरी नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार इस मामले से बचने की कोशिश कर रही है लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। अदालत ने केंद्र सरकार को सभी केंद्रीय जांच एजेंसियों के कार्यालय में अगले 5 महीने में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन हफ्ते और राज्य सरकारों को एक महीने के भीतर हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है। उसने सरकार के रवैये पर गहरी नाराजगी भी जताई है।

यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा मामला

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा मामला है। सरकार इस मामले में हमारे आदेश का पालन करने से बच रही है।

गौरतलब है कि जस्टिस नरीमन, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने कहाकि यह संविधान के तहत नागरिकों को मिलने वाले अधिकारों से संबंधित मामला है।

जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा मामला है। हमें ऐसा लग रहा है कि सरकार इस मामले से अपने पैर पीछे खींचने की कोशिश कर रही है। जस्टिस नरीमन के साथ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की मौजूदगी वाली पीठ ने सवाल किया कि आखिर सुनवाई टालने के लिए क्यों गुहार की गई थी। दरअसल, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को पत्र लिखकर मंगलवार को होने वाली सुनवाई को टालने की मांग की थी।

राज्य सरकारों को हलफनामा देने के चार महीने के भीतर सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कहा गया है। इससे पहले पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता व न्याय मित्र सिद्धार्थ दवे की तरफ से पेश रिपोर्ट पर भी गौर किया, जिसमें विभिन्न राज्यों में अदालत के निर्देश का पालन करने के लिए प्रस्तावित टाइम लाइन दी गई थी। 

बता दें कि पीठ ने पिछले साल दो दिसंबर को अपने आदेश में भी सीसीटीवी कैमरे लगाने की पूरी कार्य योजना छह सप्ताह में हलफनामे में दाखिल करने को कहा था। यह हलफनामा सभी राज्यों के मुख्य सचिव या कैबिनेट सचिव या गृह सचिव की तरफ से दाखिल किए जाने का निर्देश दिया गया था।