नई दिल्ली / विश्व प्रसिद्ध संगीतकार बलदेव शरण नारंग का मंगलवार को हृदय गति रुकने से निधन हो गया। उनके स्वर्गवास की खबर सुनते ही संगीत व कला की दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। शाम चौरासी घराने से जुड़े 76 वर्षीय नारंग हंसराज हंस, जसबीर जस्सी व सर्बजीत चीमा जैसे मशहूर गायकों को उन्होंने की गायकी के गुर सिखाए। जिन्होंने आगे चलकर पंजाबी संगीत इंडस्ट्री में ऊंचा मुकाम हासिल किया। उनका अंतिम संस्कार आज हरनामदासपुरा के श्मशान घाट में होगा। DAV कॉलेज में संगीत प्रोफेसर रह चुके बीएस नारंग इन दिनों गुजराल नगर में रह रहे थे। वे एक संगीत शिक्षक के रूप में हजारों बच्चों को कला से जोड़ने वाले नारंग डीएवी कॉलेज में संगीत के प्रोफेसर रह चुके थे।
संगीत की दुनिया से जुडे दीपक बाली के मुताबिक, प्रोफेसर बीएस नारंग का जन्म नकोदर में हुआ था और वहीं वे बड़े हुए। संगीत की शुरुआती शिक्षा उन्होंने अपने पिता पंडित केसर चंद से ली। इसके बाद हुसन लाल, उस्ताद करम सिंह चक्रबर्ती, डॉ. एसएल मिश्रा व पंडित केएस जसरा से तालीम हासिल की। जालंधर के दोआबा कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने 1973 में डीएवी कॉलेज में बतौर संगीत प्रोफेसर ज्वाइन किया। अपने संगीत के सफर में उन्होंने सारंगी वादक उस्ताद सबरी खान और उस्ताद सलामत अली खान साहब के साथ भी उन्होंने कला का प्रदर्शन किया और इसी कारण वह विश्व विख्यात हो गए। उन्होंने लंदन, बर्मिंघम, स्कॉटलैंड समेत विदेश में भी कई शो किए। इसके अलावा जालंधर के बाबा हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन, दिल्ली के सप्तश्वर, कोलकाता में फोर्ट विलियम और मुंबई के संगीत सम्मेलन समेत कई संगीत समारोहों में उन्होंने प्रस्तुति दी।