रायपुर। मंत्री अकबर ने शनिवार को अपने निवास कार्यालय में पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों की बैठक ली। इस दौरान उन्होंने जिलेवार निजी चिकित्सा संस्थानों के जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के अंतर्गत लिए जाने वाले लाइसेंस की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने अब तक शेष निजी चिकित्सा संस्थानों में लंबित लाइसेंस को एक माह के भीतर हर हालत में सुनिश्चित कराने के निर्देश सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को दिए।
मेडिकल वेस्ट का नहीं लिया लाइसेंस (प्राधिकार)
छत्तीसगढ़ के 3,069 निजी अस्पतालों में से अब तक 1,072 ने बायो मेडिकल वेस्ट का लाइसेंस (प्राधिकार) नहीं लिया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इसको लेकर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने पर्यावरण मंडल के अफसरों को ऐसे अस्पतालों का लाइसेंस महीनेभर के भीतर सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश दिए हैं। पर्यावरण संरक्षण मंडल के अफसरों ने बताया कि इस नियम के दायरे में सभी निजी क्लिनिक, ब्लड बैंक, आयुर्वेदिक क्लिनिक और पैथालाजी लैब शामिल है।
इनमें से जिनके पास बी स्तरीय सुविधा है, उन्हें हर वर्ष प्राधिकार लेना होगा। इसके अलावा जहां बी स्तरीय सुविधा नहीं है, उन्हें जीवनभर के लिए जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम के तहत केवल एक बार ही प्राधिकार लेना होगा। इन चिकित्सा संस्थानों से निकलने वाले अपशिष्ट या अवशेष का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए इन्हें प्राधिकार के दायरे में लाया गया है।
दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना में प्रगति लाने के निर्देश
पर्यावरण मंत्री अकबर ने राज्य में घरेलू दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना की प्रगति के संबंध में जानकारी ली और क्षेत्रीय अधिकारियों को मौका निरीक्षण कर प्रगति की जानकारी दस दिन के भीतर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। वर्तमान में रायपुर क्षेत्र के अंतर्गत छह एमएलडी क्षमता के भाटागांव, 75 एमएलडी क्षमता के चंदनडीह, 35 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) क्षमता के कारा तथा 90 एमएलडी क्षमता के निमोरा में घरेलू दूषित जल उपचार संयंत्र निर्माणाधीन है।
इसी तरह रायगढ़ के बड़े अतरमुड़ा में 25 एमएलडी क्षमता के और बांजिनपाली में सात एमएलडी क्षमता का दूषित जल उपचार संयंत्र निर्माणाधीन है। बैठक में बताया गया कि इसके अलावा राज्य के अन्य 74 नगरीय निकायों से जनित घरेलू दूषित जल के उपचार के लिए 78 घरेलू दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना की जाएगी।