
दिल्ली / रायपुर : – छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भू – पे बघेल और उनके पुत्र चैतन्य बघेल, दोनों बाप बेटे का मूलतः कारोबार आखिर क्या है ? कांग्रेस राज के 5 सालों के भीतर बघेल एंड संस की सम्पत्ति 10 हजार करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा पार कर चुकी है। हालांकि सरकारी रिकार्ड में बाप – बेटे आर्थिक रूप से इतने सम्पन्न भी नहीं बताये जाते कि साल दर साल वे हजारो करोड़ का कारोबार करते हो। दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री का पैतृक कारोबार भी खेती – किसानी पर निर्भर बताया जाता है। जबकि उनके पुत्र चैतन्य बघेल ने वर्ष 2018 से 2023 के बीच जबरदस्त छलांग लगाते हुए न केवल हजारों करोड़ कमाए बल्कि बिल्डर – कालोनाइजर और रियल स्टेट कारोबार का बड़ा खिलाडी भी बन गया। इससे पूर्व चैतन्य बघेल अपने पिता के साथ कृषि कार्य में रमे हुए थे, लेकिन पिता के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही उसने नए कारोबार की ओर अपने हाथ बढ़ा लिए।

कांग्रेस के बैनर तले उसके हाथ सरकारी तिजोरी की और ऐसे बढे कि फिर कभी रुकने थमने का नाम ही नहीं लिया, रकम बटोरते – बटोरते इन हाथों को कभी फुर्सत ही नहीं मिल पाई। अब किसान पुत्र की अँधाधुंध कमाई का अंदाजा भी लगा लीजिये, चैतन्य बघेल का एक ही झटके में 250 करोड़ से ज्यादा की रकम पर हाथ साफ़ करना आम बताया जाता है। यह भी बताया जाता है कि ब्लैकमनी को ठिकाने लगाने के लिए इन वर्षो में बाप – बेटे ने खूब मेहनत भी की थी। सरकारी कामकाजों के जरिये बघेल एंड संस ने ”वन टू का फोर” और ”फोर टू का वन” करने को लेकर भी अपने पैर पसार लिए थे। ईडी की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि चैतन्य बघेल शराब सिंडिकेट के सर्वोच्च स्तर पर था। उसकी स्थिति और राजनीतिक प्रभाव के कारण वही पूरे नेटवर्क का नियंत्रक और फैसले लेने वाला व्यक्ति था। सिंडिकेट द्वारा इकट्ठा की गई अवैध रकम का हिसाब वही रखता था।

सवाल उठ रहा है कि आखिर इन बाप – बेटो के पास ऐसी कौन सी जादुई छड़ी थी, जो कांग्रेस के सत्तारूढ़ होते ही पत्थर को सोना बना देती थी। देखते ही देखते 5 वर्षो के भीतर तत्कालीन मुख्यमंत्री के कुनबे ने कमाई के मामले में खेतिहर जमीन से आसमान तक का सफ़र तय कर हजारों करोड़ की सम्पत्ति इक्कट्ठा कर ली। यह भी बताया जाता है कि संविधान ने मुख्यमंत्री के पद के लिए वेतन भत्तों और सुविधाओं की झड़ी लगा दी है। इसके बावजूद भी राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल जनहित के कार्यो के बजाय नेतागिरी के आड़ में सिर्फ ”धन उगाही” के एक सूत्रीय कार्यक्रम पर जोर देते रहे। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री से लेकर विधायकों के वेतन में जबरदस्त बढ़ोत्तरी उन्ही के कार्यकाल में की गई थी। एक जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री को राज्य में 105000 रुपयों की जगह 205000 रुपये वेतन समेत कई सुविधाएं दी जाती है।
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मुख्यमंत्री का वेतन और भत्ते हर राज्य में अलग-अलग होते हैं, साथ ही उन्हें आधिकारिक आवास, वाहन, यात्रा भत्ता, चिकित्सा सुविधाएँ, टेलीफोन भत्ता, और स्टाफ जैसी कई अन्य सुविधाएँ और भत्ते भी मिलते हैं। भारी – भरकम सरकारी खर्च के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री का सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ करने का मामला बेहद गंभीर बताया जाता है। यह भी तस्दीक की जा रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का नाम देश के उन भ्रष्ट नेताओं में शुमार हो गया है, जिन्होंने अपने चंद वर्ष के कार्यकाल में आय से अधिक संपत्ति अर्जित कर देश को हैरानी में डाल दिया था। अब भू -पे बघेल कुनबे की ब्लैक मनी को लेकर प्रदेश में कोहराम मचा है। भू -पे ने अवैध कमाई को लेकर चुप्पी साधी हुई है, जनता और एजेंसी को आय के श्रोत जाहिर करने के बजाय केंद्र और राज्य समेत जाँच एजेंसियों पर हमले शुरू कर दिए है। ब्लैक मनी का पहाड़ सामने आने के बाद बघेल पर कांग्रेस की कार्यवाही का इंतजार किया जा रहा है। खबर तो यह भी आ रही है कि रायपुर सेन्ट्रल जेल में किसी बड़े गिरोहबाज की आमद -दर्ज होने की प्रत्यासा में तैयारियां शुरू कर दी गई है।

ये गिरोहबाज आखिर कौन है ? इसे लेकर जेल प्रशासन में गहमा – गहमी देखी जा रही है। कहा जा रहा है कि बेटे के बाद बाप का ठिकाना भी खोज लिया गया है। इसके लिए जेल परिसर की ”छोटी गोल” को उपयुक्त बता कर साफ़ – सफाई और निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया है। उधर चैतन्य बघेल के काले चिठ्ठे को लेकर भी राजनीतिक सरगर्मियां तेज देखी जा रही है। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि बघेल को कांग्रेस से खदेड़ने के लिए पार्टी के भीतर आग सुलग गई है। राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान को साफ़ कर दिया है कि भू – पे बघेल की सक्रियता से पार्टी को रोजाना नुकसान उठाना पड़ रहा है।

भू – पे की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में अंजाम दिए गए दर्जनों घोटालों से कांग्रेस की राज्य इकाई अभी तक उभर नहीं पाई है। शहरो से लेकर गाँव – कस्बो तक भू -पे एंड संस के भ्रष्टाचार आम है, इस पर जवाब देने के लिए कन्नी काटने के अलावा वरिष्ठ नेताओं के सामने और कोई विकल्प शेष नहीं रह गया है।

इधर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को सुप्रीम कोर्ट से भी निराशा हाथ लगी है। चैतन्य बघेल ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न घोटालों के मामले में टुकड़ों – टुकड़ो में सुनवाई करने से मना कर दिया है। चैतन्य बघेल मामले पर कोर्ट ने सुनवाई जनवरी 2026 तक टाल दी है। उधर, ED को 3 माह के भीतर प्रकरण पूर्ण करने का सुप्रीम फरमान भी सुनाया गया है, घोटालेबाजों पर एजेंसियों का कसता शिकंजा धीरे – धीरे पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के गिरेबान की और बढ़ता नजर आ रहा है।





