चुनाव आचार संहिता क्या होती है ? इसे क्यों और कब लागू किया जाता है ? आप भी समझिए इसका पूरा गणित

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नई दिल्ली / चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही इन राज्यों में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है | लेकिन क्या आप जानते हैं चुनाव आचार संहिता क्या है? चुनाव आचार संहिता क्यों लागू होती है? आचार संहिता कब से कब तक लगी रहेगी?आइए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं:

भारतीय चुनावों का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाने वाली आचार संहिता चुनाव समिति द्वारा बनाया गया वो दिशानिर्देश होता है जिसे सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना होता है। ये दिशानिर्देश यानि आचार संहिता देश की सभी राजनीतिक पार्टियों पर लागू किया जाता है। जिसका उद्देश्य पार्टियों के बीच मतभेद टालने, शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव कराना होता है। आचार संहिता द्वारा ये सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी, केंद्रीय या राज्य की अपने आधिकारिक पदों का चुनावों में लाभ हेतु गलत इस्तेमाल न करें।

चुनाव आचार संहिता का मतलब है चुनाव आयोग के वे निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना होता है। अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, उम्मीदवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।

राज्यों में चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही उस राज्य में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती है। चुनाव आचार संहिता के लागू होते ही प्रदेश सरकार और प्रशासन पर कई अंकुश लग जाते हैं। सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं। वे आयोग के मातहत रहकर उसके दिशा-निर्देश पर काम करते हैं।
यहां महत्वपूर्ण हो जाता है यह जानना भी कि आचार संहिता लागू होते ही प्रदेश का मुख्यमंत्री या मंत्री जनता के लिए कोई घोषणा नहीं कर सकते हैं। इस दौरान राज्य में न तो शिलान्यास किया जाता है न लोकार्पण और न ही भूमिपूजन।

इस दौरान सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन नहीं किया जाता है जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचता हो। राजनीतिक दलों के आचरण और क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है।

वर्ष 2000 में केंद्रीय सरकार और चुनाव समिति के बीच आचार संहिता को लेकर काफी बहस हुई। केंद्र सरकार चुनाव की तारीख की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू होने के चुनाव समिति के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी गयी।

सरकार का कहना था की औपचारिक अधिसूचना के बाद ही आचार संहिता लागू की जाये। चुनाव समिति ने मामले को सुलझाने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों को एकत्रित किया और बाद में भाजपा समेत देश की सभी राजनीतिक पार्टियों ने आचार संहिता का समर्थन किया और तभी से चुनाव की तारीख घोषित किए जाने के साथ ही देश और राज्य में आचार संहिता लागू कर दी जाती है।

आचार संहिता के नियम

  • चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी लागू हो जाते हैं. इनकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता.
  • सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा.
  • सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जायेगा.
  • किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं होगा. किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी.
  • किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे