रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इस वर्ष लगभग 92 लाख मीट्रिक टन से अधिक की धान खरीदी की है। राज्य सरकार द्वारा यह खरीदी केंद्र सरकार भरोसे की बदौलत की थी कि वह राज्य से लगभग 40 लाख मीट्रिक टन चावल सेंट्रल पूल के लिए लेगी, परन्तु धान खरीदी को लेकर केंद्र के नियमांवली के बीच केंद्र ने राज्य से केवल 24 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदने की मंजूरी दी है। जो की केन्द्र द्वारा एफसीआई के माध्यम से चावल लिया जा रहा है। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार के पास 20 लाख मीट्रिक टन धान बच रहा है।
बचे हुए 20 लाख मीट्रिक टन की बिक्री के लिए राज्य सरकार ने इसे एनसीडीईएक्स ई मार्केट के माध्यम से बिक्री का निर्णय लिया है। यह एक ऑनलाइन मार्केट होता है जहां ऑनलाइन मार्केट संचालित करने वाली कंपनी इससे जुड़े होते हैं। वहीं शासन द्वारा प्रतिनिधियों ने ऐसी फर्मों से बातचीत शुरू की है, जो छत्तीसगढ़ का धान खरीद सकते हैं। बताया गया है कि अब तक करीब 35 फर्मों ने इस सौदे में रुचि ली है। इसके साथ ही संबंधित फर्म खरीदी के लिए अपना पंजीयन कराएंगी। खास बात ये है कि देश की जो भी फर्म ये धान खरीदेगी, उसे छत्तीसगढ़ से मंडी लाइसेंस लेना होगा।
राज्य सरकार को पड़ सकता है भारी नुकसान उठाना
केंद्र सरकार द्वारा 40 लाख मीट्रिक टन चावल लिए जाने का वादा करने के बाद भी कम मात्रा में चावल लेने से राज्य सरकार के पास बड़ी मात्रा में धान बच रहा है। अगर इस धान का निपटारा नहीं किया गया, तो देर-सबेर वह धान खराब होगा। राज्य सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसीलिए राज्य सरकार ने फैसला किया है कि वह 20 लाख मीट्रिक टन धान खुले बाजार में बेचेगी। इस सौदे से सरकार को घाटा भी हो सकता है, लेकिन बड़े घाटे के बजाय छोटा घाटा सरकार को मंजूर करने के अलावा कोई रास्ता फिलहाल नजर नहीं आता।
ऑनलाइन होगी धान की बिक्री
बचने वाले 20 लाख मीट्रिक टन धान की बिक्री के लिए मार्कफेड ने एनसीडीईएक्स ई मार्केट फर्म को एजेंसी बनाया है। इस कंपनी के प्रतिनिधि अपने ग्राहकों या संभावित फर्मों से बातचीत कर उन्हें सौदे के लिए तैयार कर रहे हैं। पता लगा है कि अब तक 35 फर्मों ने इस खरीदी में रुचि दिखाई है।