छत्तीसगढ़ कृषि विभाग ने मौसम के बदलते ही जारी किया पुर्वानुमान, कहा – इल्लीयों का प्रकोप बढ़ सकता है, सतत निगरानी करने की आवश्यकता

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रायपुर। कुछ दिनों से हुए मौसम में बदलाव के कारण छत्तीसगढ़ कृषि मौसम विभाग ने नया पुर्वानुमान जारी किया है। जिसके अनुसार बालौद, रायपुर, दुर्ग, धमतरी एवं गरियाबंद जिलों में वायु की गति सामान्य से अधिक होगी। वहीं वायु की रफ्तार पांच से छह किलोमीटर प्रति घंटा होने की भी संभावना है। बदलते मौसम को देखते हुए रबी फसल के लिए किसानों को सलाह दी है।

कृषि वैज्ञानिक ने सलाह देते हुए कहा है कि वर्तमान में होने वाली हल्की वर्षा गेहूं फसल के लिए उत्तम है, इसलिए पानी गिरने पर सिंचाई न करें। वहीं सचेत करते हुए कहा कि रबी फसल के अंतर्गत आने वाले चना एवं अन्य दलहन फसलों में कीड़े-मकोड़े इत्यादि लगने की आशंका है। जिसे ध्यान में रखते हुए मौसम के साफ होते ही अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें। चने में लगने वाले इल्लियों के नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफास एवं साइपरमेथ्रिन मिश्रित कीटनाशक 400 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।

वहीं यह भी कहा की बादल छाए रहने के कारण धान की फसल में इल्लीयों का प्रकोप बढ़ सकता है। इसलिए इसकी सतत निगरानी करने की अव्यश्कता है। इल्ली के प्रारम्भिक नियंत्रण के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन जैसे फीरोमोन प्रपंच, प्रकाश प्रपंच या खेतों में किटहारी पक्षियों की खेती में सक्रियता बढ़ाने के लिए टी या वाय आकार की लकड़ियां 20-25 नग प्रति हेक्टर की दर से अलग-अलग स्थानों में लगाएं।

सरसों फसल में माहू (एफिड) कीट की शिशु और वयस्क दोनों ही हानिकारक अवस्थाएं हैं। इस कीट का अधिक प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 250 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर 10-15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार दो से तीन बार छिड़काव करें। सरसों फसल में निचली पत्तियों पर रोग के लक्षण दिखाई देने पर मेटालेकिसल एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। रोग की तीव्रता के अनुसार 10-12 दिन बाद एक छिड़काव और किया जा सकता है।

सूरजमुखी फसल में पहली सिंचाई फसल बोने के 35-40 दिन बाद देनी चाहिए एवं पहली सिंचाई के समय नत्रजन की शेष मात्रा डालनी चाहिए। पत्तियों पर भूरा धब्बा रोग दिखने पर ताम्रयुक्त फफूंदनाशी तीन ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। जिन किसानों ने खरीफ फसलों का भंडारण सही से नहीं किया है, वे अपनी फसलों को तथा अगले वर्ष उपयोग में आने वाले बीज की सुरक्षा करें। रबी तिलहनी फसलों में कीड़े-मकोड़ें की वर्तमान मौसम को देखते हुए अधिक प्रकोप होने की आशंका को देखेते हुए अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें।

साफ मौसम में निंदाई कर भी सकते हैं। दलहनी फसलों में पीला मोजेक रोग दिखाई देने पर रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें तथा मेटासिस्टाक्स या रोगोर कीटनाशक दवा एक मिली या एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। दलहनी फसलों में उकठा (विल्ट) रोग दिखाई देने पर सिंचाई न करें अथवा स्प्रिंकलर द्वारा सिंचाई करें।

बादल छाए रहने के कारण साग-सब्जियों में एफीड (मैनी) एवं भटा में फल एवं तनाछेदक लगने की आशंका को देखते हुए प्रारम्भिक कीट नियंत्रण के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन का प्रयोग जैसे फीरोमोन प्रपंच, प्रकाश प्रपंच या खेतों में पक्षियों के बैठने के लिए खूंटी लगाना लाभकारी होगा। केला के पौधे में फूल आने की स्थिति में वर्तमान मौसम को देखते हुए पौधे को संरक्षित करें।