नई दिल्ली / व्हाट्सएप और फेसबुक की नई प्राइवेसी पॉलिसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फेसबुक और व्हाट्सएप को डाटा शेयरिंग पर अपनी पॉलिसी साफ करनी चाहिए।कोर्ट ने कहा कि व्हाट्सएप या फेसबुक 2-3 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी होगी लेकिन लोगों की प्राइवेसी उससे भी अधिक कीमती है। इसकी रक्षा हमारी ड्यूटी है। कोर्ट ने फेसबुक और व्हाट्सएप इन दोनों से 4 हफ्ते में नई प्राइवेसी पॉलिसी पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने वॉट्सऐप से इस बात की भी जानकारी देने के लिए कहा कि, कंपनी ये भी बताए कि वो यूजर्स का कौन सा डाटा शेयर कर रही है और कौन सा नहीं. नई प्राइवेसी पॉलिसी के अनुसार, वॉट्सऐप यूजर्स का डेटा ग्लोबली शेयर करता है | ये सबकुछ इंटरनली शेयर होता है जिसमें फेसबुक भी शामिल है. वहीं एक्सटर्नल पार्टनर और सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ भी डेटा को शेयर किया जाता है |
याचिकाकर्ता की अपील की दलील है यूरोप और भारत में पॉलिसी अलग-अलग नहीं हो सकती । भारत में डेटा प्रोटेक्शन कानून बनने वाला है, उसका इंतज़ार किए बिना पहले व्हाट्सऐप नई पॉलिसी ले आया है। हालांकि व्हाट्सएप ने नई पॉलिसी लागू करने की तारीख 14 मई तक बढ़ाई है। इधर सरकार ने कहा है कि लोगों की प्राइवेसी से समझौता नहीं किया जा सकता। यह देश के लोगों का अधिकार है।
बता दें कि एक जनहित याचिका में कहा गया है की वॉट्सऐप और फेसबुक की नई प्राइवेसी पॉलिसी से लोगों की निजिता का हनन हो रहा है और डेटा लीक किया जा रहा है। आरोप लगाया गया है की वॉट्सऐप और फेसबुक यूरोप के लिए अलग मापदंड रखते हैं और भारत के लिए अलग नियम हैं, ये सही नहीं है। इस पर ही सुप्रीम कोर्ट ने दोनो कंपनियों से जवाब तलब किया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्राइवेसी के.साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा | ये देश के लोगों का अधिकार है | वहीं वॉट्सऐप की तरफ से एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि पॉलिसी से प्राइवेसी को लेकर कोई खतरा नहीं है | ये पूरी तरह से सुरक्षित है | जबकि अत में सीजेआई ने कहा कि, फेसबुक और वॉट्सऐप को डाटा शेयरिंग को लेकर अपनी पॉलिसी स्पष्ट करनी चाहिए |
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स भी WhatsApp को उसकी नई गोपनीयता नीति को ख़ारिज करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर चुका है | कैट ने अपनी याचिका में कहा था की कंपनी प्रस्तावित निजता नीति भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिकों के विभिन्न मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण कर रहा है | कैट ने यह भी प्रार्थना की है कि WhatsApp जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को संचालित करने के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश तैयार करने चाहिए और ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो नागरिकों और व्यवसायों की गोपनीयता की रक्षा करें |