रायपुर / प्रसिद्ध जैनाचार्य महाश्रमण समेत लगभग डेढ़ सौ साधू -संतों के जत्थे ने रायपुर प्रवेश किया है। दिल्ली के लाल किले से शुरू आचार्य महाश्रमण की अहिंसा यात्रा ने 19 राज्यों से गुजरते हुए 50 हजार किमी का सफर तय कर छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। अब यह यात्रा रायपुर पहुँच चुकी है। रायपुर में आचार्य महाश्रमण और साधू -संतों का परंपरागत ढंग से स्वागत हुआ। रायपुर के जैनम मानस भवन में साधू संतों के प्रवेश के साथ ही मर्यादा महोत्सव की शुरुआत हो गई है।
बताया जाता है कि दिल्ली के लाल किले से वर्ष 2014 में शुरू हुई आचार्य महाश्रमण की अहिंसा यात्रा के इस पड़ाव में रायपुर में कई कार्यक्रम आयोजित किये गए है। इसमें दिनांक 16, 17, 18 और 19 फरवरी को मर्यादा महोत्सव आयोजित किया गया है। 21 फरवरी को दीक्षा कार्यक्रम में आचार्य द्वारा तीन मुमुक्षुओं को भगवती दीक्षा दी जाएगी।
यह पहला मौका होगा जब छत्तीसगढ़ में तेरापंथ संघ की दीक्षा होगी। इसमें एक साधू और दो साध्वी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर सन्यास धारण करेंगे। 22 फरवरी को जैनम मानस भवन से आचार्य महाश्रमण की अहिंसा यात्रा शहर भ्रमण करते हुए अपने अगले पड़ाव के लिए निकलेगी। इस दौरान दुर्ग, राजनांदगांव, नागपुर, उज्जैन, इंदौर होते हुए राजस्थान के भीलवाड़ा में प्रवेश करेंगी। यहाँ आचार्य श्री का चातुर्मास होगा।
छत्तीसगढ़ के इतिहास में 51 साल में पहली बार तेरापंथ संघ के किसी आचार्य का मंगल प्रवेश हुआ है। सन् 1970 में जैन श्वेतांबर तेरापंथ संघ के 9वें आचार्य तुलसी रायपुर आए थे। उनके उपरांत संघ के 11वें आचार्य महाश्रमण रायपुर पहुंचे है। अहिंसा यात्रा के दौरान रास्ते में जगह-जगह पर जैन धर्मावलंबियों के साथ अन्य धर्म से जुड़े लोग आचार्य के दर्शन कर उनका आशीर्वाद ले रहे हैं।
जैन श्वेतांंबर धर्मसंघ के ग्यारहवे आचार्य अहिंसा प्रणेता परम आराध्य आचार्य महाश्रमण छत्तीसगढ़ के सुदूर नक्सली क्षेत्रों से होते हुए आज रायपुर पहुंचे। जैनम भवन के मर्यादा महोत्सव कार्यक्रम में उन्होंने सद् भावना , नैतिकता और नशा मुक्ति का संकल्प दिलाया। महाश्रमण ने कहा कि सत्य अहीसा का पालन हम सबको हर हाल में करना चाहिए कोई अपना अपमान भी करे लेकिन हमको अपने संकल्प के प्रति दृढ रहना चाहिए।
इस मौके राज्यपाल अनुसुइया उईके ने सभी सन्तो को प्रदेश वासियों की ओर से नमन किया। उन्होंने आचार्य श्री के कार्यों की भूरी – भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि संत राष्ट्र के सद्भाव से कार्य करते है। उन्होंने कहा कि मनुष्य यदि तीन संकल्प को अपने जीवन मे उतार लें तो सबका विकास होगा। उन्होंने कहा कि सन्तो ने देश की दिशा और दशा बदली है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि देश और राज्य के विकास के लिए आचार्य श्री के संदेशों का ईमानदारी से पालन करना होगा |