हाईवे पर हादसा होते ही एंबुलेंस और पुलिस को हो जाएगी खबर, सड़क परिवहन मंत्रालय कर रहा है इस अहम योजना पर काम, जानिए कैसे काम करेगा हाईटेक सिस्टम

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नई दिल्ली / देश में अब एक ऐसी तकनीक पर काम चल रहा है, जो सड़क दुर्घटना के समय पुलिस और एंबुलेंस को सबसे पहले खबर पहुंचाए। इस तकनीक को विकसित करने के पीछे का मकसद सड़क दुर्घटना के समस घायल को तुरंत इलाज दिलाना है। इसके लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय एक अहम योजना पर काम कर रहा है |  ऐसी तकनीकी व्यवस्था करने की तैयारी है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क हादसा होते ही तुरंत एंबुलेंस और पुलिस को खबर हो जाएगी |  जीपीएस सिस्टम से लैस एंबुलेंस की व्यवस्था होगी |  इसी तरह सड़क हादसों को रोकने की दिशा में भी मंत्रालय कई नई योजनाओं पर भी कार्य कर रहा है |  देश भर के आईआईटी, एनआईटी जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ मिलकर सड़क हादसे को रोकने की कार्ययोजना पर भी काम चल रहा है | इस व्यवस्था में एंबुलेंस जीपीएस सुविधा से लैस होगी। मंत्रालय मौजूदा समय में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए नई योजनाओं पर काम कर रहा है। इसके लिए मंत्रालय देशभर के एनआईटी और आईआईटी जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ मिलकर हादसों को रोकने पर योजना बना रहा है।

मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरमने ने बताया कि रोड सेफ्टी के लिए इमरजेंसी रिस्पॉन्स मैकेनिज्म पर काम किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत एंबुलेंस, अस्पताल और पुलिस कंट्रोल रूम को एक साथ जोड़ा जाएगा, ऐसा करने से सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को तुरंत इलाज मिल जाएगा। इससे राहत बचाव कार्य में भी मदद मिलेगी। गिरिधर अरमने ने बताया कि दुर्घटना होते ही रियल टाइम सूचना मिलेगी। इसके अलावा जल्द ही सड़क दुर्घटनाओं में शिकार हुए लोगों के लिए कैशलेस इलाज की योजना की शुरुआत की जाएगी। इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्रालय से बातचीत जारी है। 

  देश में सड़क हादसों को कम करने के लिए मंत्रालय इन दिनों विश्व बैंक की मदद से इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट्स प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है |  ब्लैक स्पॉट्स भी चिह्न्ति किये जा रहे हैं, जहां रोड सेफ्टी से जुड़े प्रबंध हो रहे हैं |  वाहन बनाने वाली कंपनियों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा मानदंडों का पालन करने का निर्देश है |  सड़कों की डिजाइनिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि सड़क हादसे रुक सकें. मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम आने से पीड़ित परिवारों को काफी फायदा होगा |  यह योजना सुप्रीम कोर्ट की मंशानुरूप लाई जा रही है |  सूत्रों का कहना है कि योजना लांच होने के बाद सड़क हादसे के शिकार लोगों का ढाई लाख तक का इलाज मुफ्त हो सकेगा | 

बता दें कि   सितंबर 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों में संशोधन को सख्ती से लागू किए जाने के बाद से देश में सड़क हादसों में कमी आई है |  वर्ष 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 449,002 सड़क हादसे हुए, जिसमें 151,113 लोगों की मौत हुई |  हालांकि, इससे पिछले वर्ष जब मोटर व्हीकल अमेंडमेंट एक्ट नहीं लागू था, तब 3.86 प्रतिशत ज्यादा सड़क हादसे हुए थे |  मंत्रालय का मानना है कि यातायात नियमों का पालन न करने पर मोटे जुर्माने और कई अन्य व्यवस्थाओं के चलते सड़कों पर वाहन चलाते समय लोग सावधानी बरतने लगे हैं. | जिससे सड़क हादसों में कमी आई है |  हालांकि, भारत अब भी सबसे ज्यादा सड़क हादसे वाले देशों में  शामिल   है | इसी को खत्म करने के लिए नई योजनाओं पर काम किया जा रहा है।

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