राहुल गांधी का छलका दर्द , जुबान पर “M” अक्षर का जिक्र, पडोसी देश म्यांमार में तख्तापलट पर राहुल गांधी का सवाल, आखिर क्यों तानाशाहों का नाम ‘एम’ से शुरू होता है? ट्वीट कर तमाम तानाशाहों के नाम भी बताए , हमला मोदी पर ?,देखे ट्वीट

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नई दिल्ली / कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर अप्रत्यक्ष हमला किया है | इस बार राहुल ने मोदी पर तंज कसने के लिए पड़ोसी देश म्यांमार का सहारा लिया है | दरअसल म्यांमार में हुए तख्तापलट को लेकर राहुल गांधी ने लोगों से सवाल पूछा है कि आखिर ज्यादातर तानाशाहों के नाम अंग्रेजी के एक ‘M’ (हिंदी में ‘म’) अक्षर से ही शुरू क्यों होता हैं। इस सवाल के साथ ही उन्होंने कई तानाशाहों के नाम भी गिनाए है । राहुल का ट्वीट चर्चा में है | दरअसल म्यामांर में तख्तापलट करने वाले सेना प्रमुख का नाम मिन आंग ह्लाइंग है, जो अंग्रेजी के ‘एम’ अक्षर से ही शुरू होता है। लिहाजा राहुल को पीएम मोदी पर वार करने के लिए “M” अक्षर कारगर नजर आ रहा है |

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ”आखिर ज्यादातर तानाशाहों का नाम एम से ही क्यों शुरू होता है? साथ ही राहुल गांधी ने मार्कोस, मुसोलिनी, मिलोसेविच, मुबारक, मोबुतु, मुशर्रफ और माइकॉम्बेरो का नाम भी गिनाया है ।”दुनियां में तख्तापलट के लिए चर्चित मार्कोस का पूरा नाम फर्डिनेंड इमैनुएल एड्रैलिन मार्कोस था, जो बाद में फिलिपींस का राष्ट्रपति बना था । उसने देश में सैन्य तानाशाही वाले कई कड़े और बर्बर कानून लागू किए। इसके अलावा, बेनितो मुसोलिनी इटली का एक राजनेता था, जिसने फासीवाद की नींव रखी थी । स्लोबोदान मिलोशेविच सर्बिया का राजनेता था, जिसे तानाशाह के रूप में जाना जाता है। होस्नी मुबारक मिस्र का, कर्नल जॉसेफ मोबुतु कॉन्गो का, जनरल परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान और माइकल माइकल माइकॉम्बेरो बुरुंडी में तानाशाही शासन किया था ।

पड़ोसी मुल्क म्यांमार में सेना ने देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया है । इसके बाद सेना ने देश की सर्वोच्च नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया । म्यांमार की सत्ता अपने हाथ में लेने के बाद सेना ने देश में एक साल के लिए आपातकाल लागू कर दिया है।म्यांमार में तख्तापलट की दुनिया भर में निंदा हो रही है। भारत भी कूटनीतिक रूप से तख्तापलट की आलोचना कर रहा है |

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हालांकि खबरे आ रही है कि इसमें चीन का हाथ है |आजादी मिलने के बाद से म्यांमार पर ज्यादातर वक्त सेना का शासन रहा है। वर्ष 1962 में सेना यहां सत्ता पर काबिज हो गई थी। सेना की तानाशाही से देशवासियों को आजादी दिलाने और लोकतंत्र की बहाली के लिए आंग सान सू की 22 साल लंबी लड़ाई लड़ी थी, जिसके बाद 2011 में जनता की चुनी हुई सरकार बनी थी । फ़िलहाल आंग सान सू की नजरबंद है |

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